मिजोरम में शरणार्थी संकट
पृष्ठभूमि एवं वर्तमान स्थिति
म्यांमार में जातीय सशस्त्र समूहों के बीच संघर्ष के कारण लगभग 4,000 चिन लोगों को भारत के मिजोरम में शरण लेनी पड़ी है।
- भारत-म्यांमार सीमा के निकट सशस्त्र संघर्ष के बाद 3 जुलाई 2025 के बाद से यह प्रवाह शुरू हुआ।
जातीय और भौगोलिक संदर्भ
म्यांमार के चिन लोग मिजोरम की प्रमुख मिजो आबादी के साथ-साथ बांग्लादेश के कुकी, ज़ोमिस और कुकी-चिन जैसे अन्य समूहों के साथ जातीय संबंध साझा करते हैं।
- तियाउ नदी 510 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा का हिस्सा है, और नदी को पार करना शरणार्थियों के आवागमन का प्रमुख बिंदु रहा है।
व्यापक शरणार्थी स्थिति
मिजोरम में म्यांमार और बांग्लादेश से 30,000 से अधिक शरणार्थी हैं, जिनमें शामिल हैं:
- बांग्लादेश से 2,000 कुकी-चिन शरणार्थी।
- मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण विस्थापित हुए 5,000 से अधिक कुकी-ज़ो लोगों को 2023 तक आश्रय दिया जाएगा।