भारत का एक तकनीकी महाशक्ति के रूप में रूपांतरण
पिछले एक दशक में, भारत वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में उभरा है। यह परिवर्तन साहसिक नीतियों, रणनीतिक निवेशों और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में किए गए प्रयासों से प्रेरित है। इसका उद्देश्य भारत को भविष्य के लिए तैयार अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करना है।
ऐतिहासिक RDI फंड पहल
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 ट्रिलियन रुपये के अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) कोष को मंजूरी दे दी है।
- इस फंड का उद्देश्य निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम को बढ़ावा देना है। इसमें चालू वित्त वर्ष के लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रारंभिक आवंटन किया गया है।
- यह फंड ऐसे समय में आया है जब भारत की नवाचार महत्वाकांक्षाएं वैश्विक तकनीकी परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाते हुए गति पकड़ रही हैं।
उभरते क्षेत्र और अवसर
- भारत में 170,000 से अधिक स्टार्टअप और 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं, जो इसे विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाता है।
- सरकार ने स्टार्टअप इंडिया सीड फंड और एंजल टैक्स को समाप्त करने जैसी योजनाओं के ज़रिए इस वृद्धि को समर्थन दिया है।
- अब ध्यान गहन तकनीकी क्षेत्रों, जैसे- ऊर्जा सुरक्षा, AI, रोबोटिक्स और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर केंद्रित है।
गहन तकनीकी विकास का वित्तपोषण
- अत्याधुनिक नवाचारों के लिए पेशेंट कैपिटल (Patient capital) आवश्यक है, जिसे RDI फंड और डीप टेक फंड ऑफ फंड्स द्वारा समर्थन प्राप्त है।
- इस फंड के उद्देश्यों में उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना तथा प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर चार और उससे अधिक वाली परियोजनाओं को समर्थन देना शामिल है।
- यह दो स्तरीय वित्त पोषण संरचना के माध्यम से संचालित होता है, जिसमें अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) द्वारा प्रबंधित एक विशेष प्रयोजन निधि भी शामिल है।
- द्वितीय स्तर के फंड मैनेजर दीर्घकालिक ऋण और इक्विटी निवेश के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के लिए संसाधनों को तैनात करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना
- भारत में अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 35% है, जबकि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में यह 70-80% है।
- RDI पहल का उद्देश्य उच्च जोखिम, उच्च लाभ वाले डीप-टेक उद्यमों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।
उत्पाद अर्थव्यवस्था में बदलाव
- भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने के लिए सेवा अर्थव्यवस्था से उत्पाद अर्थव्यवस्था में परिवर्तित होना होगा तथा महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में रणनीतिक स्वायत्तता प्राप्त करनी होगी।
- इसके लिए अनुसंधान इकोसिस्टम का विस्तार करना आवश्यक है, ताकि अनुसंधान से लेकर व्यावसायीकरण तक मूल्य श्रृंखला में निजी क्षेत्र की भागीदारी को शामिल किया जा सके।