भारतीय रिजर्व बैंक की सात दिवसीय वेरिएबल रेट रिवर्स रेपो (VRRR) नीलामी
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में आयोजित VRRR नीलामी में बैंकों की कम भागीदारी देखी गई, क्योंकि उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के पास धन जमा करने के बजाय ओवरनाइट मार्केट में उधार देने का विकल्प चुना।
कम सब्सक्राइब होने के प्रमुख कारण
- बैंकों की ओवरनाइट मार्केट के प्रति प्राथमिकता, नीलामी के दौरान ओवरनाइट दरों की उच्च दर से प्रभावित होती है।
- यह नीलामी शुक्रवार को होने वाली रिपोर्टिंग के साथ हुई, जिसमें बैंकों को नकद आरक्षित अनुपात (CRR) की आवश्यकताओं का अनुपालन करने की आवश्यकता थी।
VRRR के निहितार्थ
- VRRR तरलता को स्थायी रूप से समाप्त नहीं करता है, बल्कि इसकी लागत को बढ़ाता है, जिससे ओवरनाइट दरें बढ़ जाती हैं।
- इसका उद्देश्य तरलता समायोजन सुविधा (LAF) कॉरिडोर के भीतर भारित औसत कॉल दर (WACR) और TREPS दर को बनाए रखना है।
- RBI का उद्देश्य NDTL (₹2.5 लाख करोड़) के लगभग 1% तरलता अधिशेष का प्रबंधन करना है।
वर्तमान तरलता स्थिति
VRRR नीलामी ने पिछले VRRR परिचालनों से शेष लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता के एक हिस्से को अवशोषित करने में मदद की थी, जबकि वर्तमान तरलता अधिशेष 3.15 लाख करोड़ रुपये है।