अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों और राजनयिक संबंधों में प्रमुख घटनाक्रम
हाल के बयानों और कूटनीतिक कदमों ने यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष के बीच रूस के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को लेकर तनाव को उजागर किया है। लेख में चर्चा किए गए मुख्य बिंदु नीचे दिए गए हैं:
नाटो का रुख और प्रतिबंधों की धमकी
- नाटो महासचिव ने भारत, चीन और ब्राजील को चेतावनी दी कि यदि वे रूस के साथ व्यापार जारी रखेंगे तो उन पर 100% द्वितीयक प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
- द्वितीयक प्रतिबंधों का उद्देश्य उन तृतीय पक्ष देशों को दंडित करना है जो पहले से ही प्रतिबंधित देशों के साथ व्यापार कर रहे हैं।
- महासचिव के संदेश में इन देशों के नेताओं से आग्रह किया गया कि वे रूसी राष्ट्रपति को यूक्रेन के साथ गंभीर शांति वार्ता के लिए राजी करें।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ और निहितार्थ
- उनकी टिप्पणी आश्चर्यजनक थी, क्योंकि 32 देशों के सैन्य गठबंधन नाटो के पास प्रतिबंध लागू करने का अधिकार नहीं है।
- कुछ नाटो सदस्य और यूरोपीय देश अप्रत्यक्ष रूप से रूसी तेल खरीदना जारी रखे हुए हैं, जो दोहरे मापदंड का संकेत है।
- यूरोपीय संघ ने 2027 तक रूसी गैस का आयात बंद करने की योजना बनाई है, फिर भी वह अभी भी काफी हद तक उस पर निर्भर है, तथा 2024 में उसके आयात का 18% हिस्सा रूस से आय था।
भारत की स्थिति और चिंताएँ
- भारत ने इस टिप्पणी पर अप्रसन्नता व्यक्त की तथा अपने हितों पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों पर प्रकाश डाला।
- विदेश मंत्री ने रूसी कच्चे तेल का आयात करने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाने के प्रस्ताव वाले अमेरिकी विधेयक के बारे में चिंता व्यक्त की।
ये घटनाक्रम वैश्विक आर्थिक प्रतिबंधों की जटिलताओं और चल रहे वैश्विक तनावों के बीच रूस के साथ व्यापार संबंध बनाए रखने वाले देशों के लिए भू-राजनीतिक परिणामों को रेखांकित करते हैं।