केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में लागू सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) को और छह माह के लिए बढ़ा दिया है।
- विद्रोहियों/ उग्रवादियों से निपटने और मौजूदा नृजातीय हिंसा को देखते हुए कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए AFSPA लागू रहने की अवधि बढ़ाई गई है।
अफस्पा/ AFSPA के बारे में:
- यह कानून सशस्त्र बलों को "अशांत क्षेत्रों" (Disturbed areas) में लोक-व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष अधिकार प्रदान करता है।
- अफस्पा की धारा 3 के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ तब घोषित किया जा सकता है, जब राज्य या केंद्र शासित प्रदेश (UT) का कोई हिस्सा या पूरा हिस्सा ऐसी स्थिति में हो कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक हो जाए।
- केंद्र सरकार, राज्य का राज्यपाल या केंद्र-शासित प्रदेश का प्रशासक किसी राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश (UT) के कुछ या संपूर्ण क्षेत्र को "अशांत क्षेत्र" घोषित कर सकते हैं।
- अफस्पा के तहत सशस्त्र बलों को दिए गए विशेष अधिकार:
- कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सशस्त्र बलों को घातक हथियारों के उपयोग सहित बल प्रयोग का अधिकार दिया गया है।
- सशस्त्र बलों को वारंट के बिना किसी की गिरफ्तारी और तलाशी लेने का अधिकार दिया गया है।
- केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना सशस्त्र बल के किसी कर्मी के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
अफस्पा को लेकर चिंताएं
- मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप: मानवाधिकार संगठनों और स्थानीय संगठनों ने सुरक्षा बलों द्वारा कथित ज्यादतियों के लिए अफस्पा कानून की आलोचना की है।
- शासन की विफलता: कई विशेषज्ञों का मानना है कि अफस्पा को लागू करना विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में गंभीर राजनीतिक समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं है।
- कानून पर लोगों का विश्वास नहीं: सैन्य कार्रवाइयों में पारदर्शिता नहीं होने की वजह से आम-जन के मन में सशस्त्र बलों की छवि ख़राब हुई है।
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