भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO/ इसरो) ने सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के विकास में बड़ी सफलता हासिल की | Current Affairs | Vision IAS
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO/ इसरो) ने सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के विकास में बड़ी सफलता हासिल की

Posted 31 Mar 2025

8 min read

ISRO ने पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (PHTA) इंजन का पहला सफल हॉट टेस्ट तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया।

  • यह प्रक्षेपण यान मार्क-3 (LVM3) के सेमी-क्रायोजेनिक बूस्टर चरण को शक्ति प्रदान करेगा।
  • LVM3 वस्तुतः तीन-चरणों वाला प्रक्षेपण यान है। इसमें दो ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटर्स (S200), एक लिक्विड कोर चरण (L110) और एक हाई-थ्रस्ट क्रायोजेनिक अपर चरण (C25) शामिल हैं।

इस परीक्षण के बारे में

  • यह चरण 2,000 kN (किलोन्यूटन) अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन (SE2000) द्वारा संचालित होगा। इससे भविष्य के प्रक्षेपण यानों की पेलोड क्षमता बढ़ेगी और यान का बूस्टर स्टेज संचालित होगा। 
    • गौरतलब है कि यह इंजन LVM3 के मौजूदा लिक्विड कोर स्टेज (L110) की जगह लेगा। 
  • इस इंजन में गैर-विषाक्त और गैर-खतरनाक प्रणोदकों (तरल ऑक्सीजन और केरोसिन) का उपयोग किया गया है।
  • सेमी-क्रायोजेनिक प्रणोदन प्रणाली और उन्नत क्रायोजेनिक चरण के चलते LVM3 यान की भू-तुल्यकालिक अंतरण कक्षाओं (GTO) में पेलोड ले जाने की क्षमता 4 टन से बढ़कर 5 टन हो जाएगी।

इसरो के सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के बारे में

  • इसरो एक 2000 kN थ्रस्ट वाला सेमी-क्रायोजेनिक इंजन विकसित कर रहा है। यह तरल ऑक्सीजन (LOX) और केरोसिन प्रणोदक के मिश्रण से संचालित होगा।
  • इसका उद्देश्य LVM3 की पेलोड क्षमता बढ़ाना और भविष्य के प्रक्षेपण यानों को अधिक थ्रस्ट प्रदान करना है।
  • इसरो का लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) अन्य प्रक्षेपण यान केंद्रों के सहयोग से सेमी-क्रायोजेनिक प्रणाली का विकास कर रहा है।
  • Tags :
  • ISRO
  • सेमी-क्रायोजेनिक इंजन
  • प्रक्षेपण यान मार्क-3
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