IMO नेट-जीरो फ्रेमवर्क विश्व का पहला ऐसा फ्रेमवर्क है, जो संपूर्ण उद्योग क्षेत्रक में अनिवार्य उत्सर्जन सीमा और GHG मूल्य निर्धारण का प्रावधान करता है।
- पोत परिवहन वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में लगभग 3% का योगदान देता है।
मुख्य विशेषताएं
- इसे जहाजों से प्रदूषण की रोकथाम के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय (MARPOL/ मार्पोल) के एनेक्स VI में शामिल किया जाएगा।
- एनेक्स VI: जहाजों से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित है।
- उद्देश्य: 2050 के आसपास या उससे पहले शून्य उत्सर्जन प्राप्त करना।
- जहाजों को निम्नलिखित का अनुपालन करना होगा:
- वैश्विक ईंधन मानक: जहाजों को अपनी वार्षिक GHG फ्यूल इंटेंसिटी (GFI) यानी प्रयुक्त प्रति ऊर्जा इकाई पर उत्सर्जित GHG की मात्रा को समय के साथ कम करना होगा।
- वैश्विक आर्थिक उपाय: जिन जहाजों का उत्सर्जन तय GFI सीमा से अधिक होगा, उन्हें "रिमेडियल यूनिट्स" खरीदनी होंगी, ताकि अतिरिक्त उत्सर्जन की भरपाई की जा सके। जो जहाज शून्य या लगभग शून्य GHG तकनीकों का उपयोग करेंगे, उन्हें वित्तीय पुरस्कार दिया जाएगा।
- IMO नेट-जीरो फंड: एक नया फंड बनाया जाएगा, जिसमें उत्सर्जन मूल्य निर्धारण से प्राप्त राशि जमा की जाएगी।
- कार्यान्वयन: इसे अक्टूबर 2025 में औपचारिक रूप से अपनाया जाएगा तथा 2027 से प्रभावी होकर अनिवार्य हो जाएगा।
- एक बार प्रभावी होने के बाद, यह 5,000 सकल टन से अधिक बड़े समुद्री जहाजों के लिए अनिवार्य हो जाएगा, जो अंतर्राष्ट्रीय पोत परिवहन से कुल CO2 उत्सर्जन का 85% उत्सर्जित करते हैं।
MARPOL के बारे में
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