कंट्री पार्टनरशिप फ्रेमवर्क (CPF) अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) द्वारा विकसित एक रणनीतिक पहल है। इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य सदस्य देशों के साथ दीर्घकालिक और मध्यम अवधि के सहयोग को बढ़ावा देना है।
- CPF का लक्ष्य सौर ऊर्जा परियोजनाओं के साझा विकास के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा अपनाने को गति देना है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के बारे में
- यह संधि-आधारित अंतर-सरकारी संगठन है। यह गठबंधन ऊर्जा आपूर्ति बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सौर ऊर्जा को संधारणीय समाधान के रूप में बढ़ावा देता है।
- शुरुआत: भारत और फ्रांस ने 2015 में पेरिस में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर COP-21 सम्मेलन में ISA की स्थापना की संयुक्त रूप से घोषणा की थी।
- मुख्यालय: गुरुग्राम (हरियाणा)।
- समझौते पर हस्ताक्षर और अभिपुष्टि करने वाले देश: 104 (मार्च 2025 तक)
- इसके फ्रेमवर्क में 2020 में संशोधन किए गए थे। इस संशोधन के बाद संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल हो सकते हैं।
- ISA का मिशन: ISA को ‘टुवर्ड्स 1000’ रणनीति से मार्गदर्शन प्राप्त होता है। इस रणनीति के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- 2030 तक सौर ऊर्जा समाधानों में 1,000 अरब डॉलर के निवेश को आकर्षित करना।
- स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के माध्यम से 1,000 मिलियन लोगों को ऊर्जा उपलब्ध कराना।
- 1,000 गीगावाट (GW) सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करना।
- उपर्युक्त लक्ष्य को प्राप्त करने से सोलर पैनल विनिर्माण से उत्सर्जन में प्रति वर्ष 1,000 मिलियन टन CO₂ के बराबर की कमी की जा सकती है।
ISA द्वारा शुरू की गई प्रमुख पहलें:
- SolarX स्टार्ट-अप चैलेंज: इसके तहत स्टार्ट-अप्स और उद्यमियों को अनुदान व व्यावसायिक सहायता प्रदान की जाती है।
- STAR-C पहल: यह सदस्य देशों की संस्थागत और तकनीकी क्षमता को बढ़ाती है।
- ग्लोबल सोलर फैसिलिटी: यह सौर ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश प्रोत्साहित करने हेतु भुगतान गारंटी निधि है।
- ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर: यह सौर ऊर्जा और हाइड्रोजन ऊर्जा के बीच के संबंध की संभावनाओं की खोज करता है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में भारत की मुख्य भूमिका:
|