नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि प्लास्टिक के कण पौधों की सतह पर मौजूद संरचनाओं जैसे- स्टोमाटा और क्यूटिकल आदि के माध्यम से पौधों की पत्तियों में प्रवेश करते हैं।
- स्टोमाटा (रंध्र): ये विशेष कोशिकाओं द्वारा निर्मित सूक्ष्म छिद्र होते हैं। इन कोशिकाओं को रक्षक कोशिकाएं भी कहा जाता है।
- क्यूटिकल: मोम में लिपटी सुरक्षात्मक झिल्ली।
पौधों के ऊतकों में पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट (PET) और पॉलीस्टायरीन (PS) जैसे प्लास्टिक के कण पाए गए हैं।
- PET का उपयोग पेय पदार्थों की बोतलों और खाद्य कंटेनर्स में किया जाता है। वहीं PS का उपयोग डिस्पोजेबल कटलरी, कप आदि में किया जाता है।
माइक्रोप्लास्टिक्स के बारे में
- परिभाषा: 5 मिलीमीटर व्यास तक के प्लास्टिक कणों को माइक्रोप्लास्टिक्स कहा जाता है। नैनोप्लास्टिक 1,000 नैनोमीटर से कम के आकार के होते हैं।

- माइक्रोप्लास्टिक्स की विशेषताएं:
- माइक्रोप्लास्टिक्स स्थायी होते हैं और आसानी से फैल जाते हैं तथा उन्हें हटाना मुश्किल होता है।
- माइक्रोप्लास्टिक्स का सतह क्षेत्र-आयतन अनुपात बड़ा होता है। जैसे-जैसे इनका सतह क्षेत्र बढ़ता है, ये अधिक संदूषकों को अवशोषित करने लगते हैं (पदार्थों को आकर्षित करते हैं और पकड़ते हैं) तथा दूषण (Fouling) के प्रति अधिक प्रवण हो जाते हैं।
- माइक्रोप्लास्टिक्स में अक्सर रासायनिक योजक होते हैं, जो समय के साथ जल निकायों में जमा हो जाते हैं: उदाहरण के लिए, बिस्फेनॉल A (BPA), ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स, पर एंड पॉलीफ्लोरोएल्काइल पदार्थ (PFAS) आदि।
- माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रकार:
- प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक्स: वे प्लास्टिक जो जानबूझकर छोटे आकार में बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए- प्लास्टिक पेलेट्स (विनिर्माण क्षेत्रक में उपयोग किए जाते हैं), व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में माइक्रोबीड्स (उदाहरण के लिए- टूथपेस्ट, फेस वॉश, सौंदर्य प्रसाधन) आदि।
- द्वितीयक माइक्रोप्लास्टिक्स: वे प्लास्टिक की बड़ी वस्तुएं टूटने से उत्पन्न होते हैं। उदाहरण के लिए- पॉलिएस्टर या नायलॉन जैसे सिंथेटिक फाइबर से बने माइक्रोफाइबर्स।