भारत में ‘मगरमच्छ संरक्षण परियोजना’ के 50 वर्ष पूरे हुए | Current Affairs | Vision IAS
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भारत में ‘मगरमच्छ संरक्षण परियोजना’ के 50 वर्ष पूरे हुए

Posted 18 Jun 2025

15 min read

विश्व मगरमच्छ दिवस 2025 की पूर्व संध्या पर भारत में ‘मगरमच्छ संरक्षण परियोजना’ की शुरुआत की स्वर्ण जयंती मनाई गई। 

  • ध्यातव्य है कि प्रत्येक वर्ष 17 जून को विश्व मगरमच्छ दिवस (World Crocodile Day) मनाया जाता है।  

मगरमच्छ संरक्षण परियोजना के बारे में:

  • परियोजना की शुरुआत: एच.आर. बस्टर्ड की सिफारिशों के आधार पर 1 अप्रैल, 1975 को यह परियोजना अलग-अलग राज्यों में औपचारिक रूप से शुरू की गई थी।
  • उद्देश्य: मगरमच्छों के प्राकृतिक पर्यावासों का संरक्षण करना और कैप्टिव ब्रीडिंग के माध्यम से इनकी आबादी को तेजी से बढ़ाना।
  • तकनीकी और वित्तीय सहायता: यह सहायता भारत सरकार के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) तथा खाद्य और कृषि संगठन (FAO) से प्राप्त होती है। 

भारत में मगरमच्छ संरक्षण की सफलता:

  • ओडिशा की विशेष भूमिका: ओडिशा भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां मगरमच्छ की तीनों स्थानिक (नेटिव) प्रजातियों के लिए संरक्षण केंद्र मौजूद हैं। ये तीन संरक्षण केंद्र निम्नलिखित हैं:
    • घड़ियाल: टिकरपाड़ा (सतकोसिया);
    • खारे जल का मगरमच्छ: डांगमाल (भीतरकनिका); तथा 
    • मगर (मगरमच्छ): रामतीर्थ (सिमिलिपाल)।
  • खारे जल के मगरमच्छ और मगर की संख्या में वृद्धि:
    • खारे जल का मगरमच्छ: अब इनकी संख्या लगभग 2,500 हो चुकी है। इनकी सबसे अधिक संख्या ओडिशा के भीतरकनिका में है। यह प्रजाति अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और सुंदरबन (पश्चिम बंगाल) में भी पाई जाती है।
    • मगर: इनकी संख्या बढ़कर 8,000–10,000 तक पहुंच गई है। यह प्रजाति एक बार फिर से अपने ऐतिहासिक प्राकृतिक क्षेत्र (जैसे गंगा नदी घाटी) में पाई जाने लगी है।
  • घड़ियाल संरक्षण: राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य, गंडक नदी, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, सोन घड़ियाल अभयारण्य जैसे संरक्षण क्षेत्रों में प्रतिवर्ष घड़ियालों के 400 से अधिक घोंसले दर्ज किए जा रहे हैं।
    • राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य तीन राज्यों में विस्तृत है। 
  • आज भारत में विश्व की 80% जंगली घड़ियाल आबादी मौजूद है।

वर्तमान में संचालित संरक्षण पहलें:

  • इस वर्ष (2025) भारत ने एक ‘नई घड़ियाल संरक्षण परियोजना’ की घोषणा की है। इस नई परियोजना का उद्देश्य गंगा, ब्रह्मपुत्र व सिंधु नदियों तथा ओडिशा की महानदी में घड़ियालों की संख्या बढ़ाना है।
  • मद्रास क्रोकोडाइल बैंक: यहां मगरमच्छों की ब्रीडिंग कराई जाती है और इनकी संख्या बढ़ाने वाले कार्यक्रमों का समर्थन किया जाता है।

मगरमच्छ के बारे में:

  • मगरमच्छ की प्रजातियां: दुनिया भर में मगरमच्छ की 13 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें नाइल क्रोकोडाइल, खारे जल का मगरमच्छ आदि शामिल हैं।
    • इनमें से भारत में तीन नेटिव मगरमच्छ प्रजातियां पाई जाती हैं (इन्फोग्राफिक देखिए)।
  • सबसे बड़ी सरीसृप प्रजाति: खारे जल का मगरमच्छ (saltwater crocodile) दुनिया में मगरमच्छ की सबसे बड़ी जीवित प्रजाति और सबसे बड़ी जीवित कशेरुकी (vertebrate) वर्ग की सरीसृप प्रजाति है।
  • विशेषताएं: ये निशाचर और पॉयकिलोथर्मिक जीव हैं। 
    • पॉयकिलोथर्मिक जीवों के शरीर का तापमान आस-पास के तापमान के साथ बदलता रहता है।  
  • Tags :
  • नाइल क्रोकोडाइल
  • खारे जल का मगरमच्छ
  • मद्रास क्रोकोडाइल बैंक
  • मगरमच्छ संरक्षण परियोजना
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