केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने 17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस के अवसर पर ग्रीन इंडिया मिशन से संबंधित नए डॉक्यूमेंट्स जारी किए।
ग्रीन इंडिया मिशन के बारे में
- शुरुआत: ग्रीन इंडिया मिशन की शुरुआत 2011 में हुई थी। यह राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) के आठ मिशनों में शामिल है।
- उद्देश्य:
- वन/ गैर-वन क्षेत्रों में वन और वृक्ष आवरण में वृद्धि करना: मिशन के तहत 24 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया है।
- पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाओं में सुधार करना: इसमें वायुमंडल से कार्बन का अवशोषण और भंडारण भी शामिल हैं।
- वर्ष 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) के समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण करना, आदि।
- ग्रीन इंडिया मिशन के तीन उप-मिशन निम्नलिखित हैं:
- वन क्षेत्र की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाओं में सुधार;
- वन/ वृक्ष आवरण बढ़ाना और पारिस्थितिकी-तंत्र की पुनर्बहाली; तथा
- वनों पर निर्भर समुदायों की आय और आय-स्रोतों को बढ़ाना।
- वित्त-पोषण: आंशिक वित्त-पोषण मिशन के लिए आवंटित राशि से और शेष वित्त-पोषण ‘राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA)’ से प्राप्त होगा।
- क्रियान्वयन अवधि: 10 वर्ष (2021 से 2030 तक)।
- क्रियान्वयन एजेंसी: यह मिशन बॉटम-अप मॉडल पर आधारित है। संयुक्त वन प्रबंधन समितियां (JFMCs) इस मिशन की प्रमुख क्रियान्वयन एजेंसियां हैं।
ग्रीन इंडिया मिशन की प्रमुख रणनीतियां{ये रणनीतियां भारत की राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) प्रतिबद्धताओं से संबद्ध हैं}:
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