सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत वैधानिक आयु सीमा प्रतिबंध उन दंपतियों पर पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं होंगे, जिन्होंने 25 जनवरी, 2022 को कानून के लागू होने से पहले ही सरोगेसी प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
- यह छूट उन मामलों पर भी लागू होगी, जिनमें अधिनियम लागू होने से पहले ही भ्रूण (embryos) सृजित और फ्रीज किए जा चुके थे।
- कोर्ट ने यह भी माना कि प्रजनन संबंधी विकल्प चुनने का अधिकार, जिसमें सरोगेसी भी शामिल है, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता का अभिन्न हिस्सा है।
सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के बारे में
- उद्देश्य: भारत में सरोगेसी प्रक्रियाओं को विनियमित करना, शोषण को रोकना और नैतिक एवं परोपकारी सरोगेसी को बढ़ावा देना।
- प्रमुख प्रावधान:
- यह अधिनियम केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है, जबकि व्यावसायिक सरोगेसी को पूरी तरह से प्रतिबंधित करता है और इसे एक दंडनीय अपराध घोषित करता है।
- इच्छुक दंपतियों के लिए पात्रता:
- विवाहित भारतीय दंपति, जिनमें पत्नी की आयु 23 से 50 वर्ष के बीच और पति की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच हो।
- उनके पास कोई जीवित जैविक (उनका अपना) या गोद लिया हुआ बच्चा नहीं होना चाहिए।
- सरोगेट माता के लिए पात्रता: विवाहित महिला, जिसकी आयु 25 से 35 वर्ष के बीच हो और जिसका अपना कम-से-कम एक बच्चा हो।
- सरोगेट बच्चे का अधिकार: सरोगेसी से जन्मा बच्चा इच्छुक दंपति का जैविक बच्चा माना जाएगा तथा उसे प्राकृतिक बच्चे के समान सभी अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे।