गृह मंत्रालय ने मॉडल जेल मैनुअल, 2016 के नियमों और आदर्श जेल एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2023 में संशोधन किया है। इसका उद्देश्य देश भर की जेलों में जाति आधारित भेदभाव एवं वर्गीकरण को समाप्त करना है।
- ये संशोधन सुकन्या शांता बनाम भारत संघ और अन्य मामले में, कैदियों के बीच जाति-आधारित भेदभाव उन्मूलन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में किए गए हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जेल मैनुअल में "आदतन अपराधियों" का उल्लेख संबंधित राज्य के आदतन अपराधी कानून में दी गई परिभाषाओं के अनुसार होना चाहिए।
- आदतन अपराधी वे व्यक्ति होते हैं, जिन्हें अलग-अलग अपराधों के लिए पांच वर्षों के भीतर कई बार दोषी ठहराया जाता है और सजा सुनाई जाती है। इसके अलावा, अपील या समीक्षा पर भी उनकी सजा को कम या खत्म नहीं किया जाता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जेल मैनुअल में "आदतन अपराधियों" का उल्लेख संबंधित राज्य के आदतन अपराधी कानून में दी गई परिभाषाओं के अनुसार होना चाहिए।
किए गए मुख्य संशोधनों पर एक नजर
- जेल प्राधिकारी सख्ती से यह सुनिश्चित करेंगे कि कैदियों के साथ उनकी जाति के आधार पर भेदभाव, वर्गीकरण या अलगाव नहीं किया जाए। इसमें जेल के भीतर कर्तव्यों या काम का आवंटन भी शामिल है।
- जाति के आधार पर भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध), अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का उन्मूलन), आदि के तहत निषिद्ध है।
- ‘हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013’ के प्रावधान जेलों एवं सुधार संस्थानों पर बाध्यकारी प्रभाव डालेंगे।
- जेल के अंदर हाथ से मैला उठाने या सीवर या सेप्टिक टैंक की मैनुअल रूप से खतरनाक तरीके से सफाई की अनुमति नहीं दी जाएगी।
भारत में जेल
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