योजना की निरंतरता और मूल्यांकन
वित्त मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि केंद्र सरकार द्वारा वित्त-पोषित योजनाएं चालू वित्त वर्ष के बाद भी तभी जारी रहेंगी, जब वे मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में प्रभावी साबित होंगी। इसके अलावा, योजना के प्रदर्शन या लक्ष्य विस्तार के कारण उसे जारी रखने की स्पष्ट आवश्यकता भी होनी चाहिए।
सनसेट डेट की आवश्यकता
- प्रत्येक सरकारी योजना के लिए व्यय की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु एक सनसेट डेट निर्धारित करना आवश्यक है।
- केंद्र सरकार द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित सभी योजनाओं के लिए तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन किया जा रहा है, जबकि नीति आयोग केंद्र प्रायोजित योजनाओं का मूल्यांकन करता है।
- वर्तमान में 54 केंद्रीय योजनाएं और 260 केंद्र प्रायोजित योजनाएं हैं, जिनकी मंजूरी 31 मार्च, 2026 को समाप्त हो रही है। इनके लिए पुनर्मूल्यांकन और संभवतः केन्द्रीय मंत्रिमंडल की नई मंजूरी की आवश्यकता है।
योजनाओं द्वारा कवर किए गए क्षेत्र
- सामाजिक क्षेत्र: स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, जनजातीय कल्याण।
- अवसंरचना संबंधी क्षेत्र: कृषि, शहरी और ग्रामीण अवसंरचना, जल और स्वच्छता।
- अन्य क्षेत्र: पर्यावरण, वैज्ञानिक अनुसंधान।
वित्तीय सीमाएं
- किसी भी चालू योजना के लिए प्रस्तावित बजटीय परिव्यय पाँच वर्षों की अवधि के लिए 2021-22 से 2024-25 तक के औसत वार्षिक व्यय के 5.5 गुना से अधिक नहीं होना चाहिए।
- मंत्रालयों को योजनाओं के बीच न्यायसंगत कारणों के साथ धनराशि समायोजित करने की छूट है, बशर्ते कि कुल स्वीकृत राशि अनुमोदित बजटीय सीमा से अधिक न हो।
मांग-संचालित योजनाओं पर प्रभाव
- मनरेगा जैसी मांग-आधारित योजनाओं पर भी ये वित्तीय सीमाएं लागू होंगी।
- प्रत्येक वित्त आयोग चक्र के लिए लाभार्थियों की संख्या और परिव्यय की सीमा निर्धारित की जाएगी।
- यदि लाभार्थियों की संख्या अनुमानित आंकड़ों से अधिक बढ़ती है, तो संबंधित मंत्रालयों को व्यय विभाग से पूर्व स्वीकृति लेनी होगी।