IPOs और बाजार विनियमन के लिए सेबी के सुधार
बड़ी कंपनियों की लिस्टिंग को प्रोत्साहित करना
- सेबी ने इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPOs) के लिए मिनिमम डायल्यूशन रिक्वायरमेंट को कम करने को मंजूरी दे दी।
- मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) प्राप्त करने के लिए समयसीमा बढ़ा दी गई।
एंकर निवेशक ढांचे में बदलाव
- घरेलू म्यूचुअल फंडों के साथ-साथ जीवन बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों को भी एंकर आवंटन हेतु आरक्षित श्रेणी में अनुमति दी गई।
- एंकर निवेशकों के लिए समग्र आरक्षण को एक तिहाई से बढ़ाकर 40% कर दिया गया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) सुधार
- अनुपालन बोझ को कम करने के लिए कुछ FPI को शामिल करने के लिए एकल खिड़की की शुरुआत की गई।
- कम जोखिम वाले FPI के पंजीकरण को आसान बनाने के लिए स्वागत-एफआई प्लेटफॉर्म का शुभारंभ किया गया।
- छूट के दायरे में 70% से अधिक FPI शामिल हैं।
नए IPOs मानदंड
- 5 ट्रिलियन रुपये से अधिक के पोस्ट-इश्यू बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों को 15,000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर पेश करने होंगे।
- ₹1 ट्रिलियन और ₹5 ट्रिलियन के बीच बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों का MPO ₹6,250 करोड़ होगा।
- यदि सूचीबद्धता के समय 15% से कम सार्वजनिक शेयरधारिता हो तो पांच वर्ष की समय-सीमा।
रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट
- रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (Reits) को म्यूचुअल फंड के लिए 'इक्विटी' के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया।
- अवसंरचना निवेश ट्रस्ट (InvITs) को 'हाइब्रिड' के रूप में वर्गीकृत किया गया।
म्यूचुअल फंड विनियमन
- अधिकतम निकास भार 5% से घटाकर 3% किया गया।
- शीर्ष 30 शहरों से परे से नए आगमन के लिए वितरकों के लिए प्रोत्साहन पुनः शुरू किया गया।
अतिरिक्त सुधार
- संबंधित पक्ष लेनदेन के लिए स्केल-आधारित सीमाएं शुरू की गईं।
- मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए AIF योजनाओं की अलग श्रेणी।
- मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए बड़े मूल्य वाले फंडों हेतु परिचालन संबंधी छूट।
इन सुधारों से प्राथमिक बाजार को बढ़ावा मिलने तथा निवेशकों और कंपनियों के लिए विनियामक अनुपालन आसान होने की उम्मीद है, जिससे भारत में निवेशक-अनुकूल वातावरण को बढ़ावा मिलेगा।