सुर्ख़ियों में क्यों?
संसद ने 'ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक 2025' पारित किया। राष्ट्रपति की अनुमति के बाद यह विधेयक अब कानून बना गया है। इसके तहत ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है, जबकि अन्य तरह के ऑनलाइन गेम्स या खेलों को बढ़ावा देने और नियंत्रित करने का प्रावधान किया गया है।
अन्य संबंधित तथ्य
- इस कानून का उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्रक के लिए एक मजबूत कानूनी फ्रेमवर्क तैयार करना है। इससे इस क्षेत्रक को विनियमित किया जा सकेगा, इसे बढ़ावा दिया जा सकेगा तथा नवाचार और आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, सभी नागरिकों के लिए एक विकसित, सुरक्षित एवं जिम्मेदार डिजिटल व्यवस्था सुनिश्चित करना भी इसका उद्देश्य है।
- यह विधेयक भारत के संविधान के अनुच्छेद 117(1) और 117(3) के तहत राष्ट्रपति की सिफारिश से सदन में पेश किया गया था। इस प्रकार, इसे वित्त विधेयक के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
अनुच्छेद 117: वित्त विधेयकों के संबंध में विशेष प्रावधान
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इस कानून की आवश्यकता क्यों अनुभव हुई?
- आदत और आर्थिक नुकसान: ऑनलाइन मनी गेम्स लोगों को बार-बार खेलने के लिए उकसाते हैं और जल्दी पैसा कमाने का झूठा भ्रम पैदा करते हैं। इससे लोगों को इन गेम्स की लत लग जाती है तथा परिवार कर्ज़ और परेशानी में फंस जाते हैं।
- केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के अनुसार, ऑनलाइन मनी गेमिंग ने लगभग 45 करोड़ लोगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है और उन्हें 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
- मानसिक स्वास्थ्य: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गेमिंग डिसऑर्डर को अपनी बीमारियों की अंतर्राष्ट्रीय सूची में एक स्वास्थ्य समस्या के रूप में सूचीबद्ध किया है।
- गेमिंग डिसऑर्डर का अर्थ है—नियंत्रित होकर नहीं खेलना, रोजमर्रा की जिम्मेदारियों की अनदेखी करना और नुकसान होने के बावजूद खेलते रहना।
- कानूनी खामियों को सुधारना: जुआ और बेटिंग पहले से ही भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 और कई राज्य कानूनों के तहत प्रतिबंधित हैं, लेकिन ऑनलाइन गेमिंग अभी भी बिना किसी विनियम के चल रही थी।
- कई गेमिंग प्लेटफॉर्म्स विदेशों से संचालित होते हैं। इस कारण उन्हें विनियमित करने में भारत सरकार को समस्या होती थी। साथ ही, राज्यों के बीच भी ऑनलाइन गेमिंग के विनियमन को लेकर कानूनी असमानताएं विद्यमान थीं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा: जांच से पता चला है कि कुछ गेमिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल आतंकवाद को वित्त-पोषित करने, गैर-कानूनी संदेश भेजने और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा था। इससे देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हो रहा था।
- ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा: यह विधेयक सकारात्मक डिजिटल सहभागिता को प्रोत्साहित करता है तथा ई-स्पोर्ट्स क्षेत्रक में रचनात्मक अर्थव्यवस्था एवं नवाचार को बढ़ावा देता है।
अधिनियम के प्रमुख प्रावधान
- प्रमुख परिभाषाएं:
- ऑनलाइन गेम्स: ऐसे सभी गेम्स, जो इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल डिवाइस पर खेले जाते हैं और जिन्हें इंटरनेट या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक संचार तकनीक की मदद से सॉफ्टवेयर के रूप में चलाया एवं संचालित किया जाता है।
- ऑनलाइन गेम्स की श्रेणियां:
- ई-स्पोर्ट्स: प्रतिस्पर्धी डिजिटल खेल जहां टीमें या व्यक्ति संगठित टूर्नामेंट में भाग लेते हैं। इनमें रणनीति, तालमेल और उन्नत निर्णय लेने की क्षमता की जरूरत होती है।
- उदाहरण के लिए- वेद "बील्ज़ेबॉय" बाम्ब 'पोकेमॉन गो वर्ल्ड चैंपियनशिप' 2025 जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।
- ऑनलाइन सोशल गेम्स: ऐसे खेल जो रोज़मर्रा की मनोरंजन गतिविधियों का हिस्सा होते हैं। ये अधिकतर कौशल-आधारित होते हैं और इनका उद्देश्य मनोरंजन, सीखने या सामाजिक संपर्क को बढ़ावा देना होता है। उदाहरण: वर्डले (ऑनलाइन शब्द आधारित गेम), कहूट (Kahoot!) आदि।
- ऑनलाइन मनी गेम्स: ऐसे खेल जिनमें खिलाड़ी को खेलने के लिए शुल्क देना या पैसा जमा करना होता है और बदले में वह पैसे या अन्य इनाम जीतने की उम्मीद रखता है। ये खेल चाहे कौशल पर आधारित हों, संयोग पर आधारित हों या दोनों पर, लेकिन इनमें ई-स्पोर्ट्स शामिल नहीं होता है। उदाहरण: Dream11, रम्मी, पोकर, WinZO आदि।
- ई-स्पोर्ट्स: प्रतिस्पर्धी डिजिटल खेल जहां टीमें या व्यक्ति संगठित टूर्नामेंट में भाग लेते हैं। इनमें रणनीति, तालमेल और उन्नत निर्णय लेने की क्षमता की जरूरत होती है।
- लागू होने का क्षेत्र: यह कानून पूरे भारत में लागू होगा और उन ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाओं पर भी लागू होगा, जो भारत के भीतर उपलब्ध कराई जाती हैं या विदेशों से संचालित होकर भारत में उपलब्ध कराई जाती हैं।
- ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध: ऑनलाइन मनी गेम्स, जिन्हें रियल मनी गेम्स भी कहा जाता है, और उनसे जुड़ी सेवाओं पर पूरी तरह रोक लगाई जाएगी।
- ऐसे खेलों को संचालित करना, उनका विज्ञापन करना, और बैंकों या किसी भी वित्तीय संस्था द्वारा इनके लिए लेन-देन करने की सुविधा देना, इन सब पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- साथ ही, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत अधिकारियों को ऐसे गैर-कानूनी प्लेटफॉर्म्स तक पहुंच को ब्लॉक करने का अधिकार भी दिया गया है।
- ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा: ई-स्पोर्ट्स को "मान्यता प्राप्त प्रतिस्पर्धी खेल" माना गया है। युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय इनके लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा। साथ ही, इनके लिए प्रशिक्षण अकादमियों व शोध केंद्रों जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
- सामाजिक और शैक्षणिक खेलों को बढ़ावा: केंद्र सरकार को ऐसे सामाजिक खेलों को मान्यता देने व पंजीकृत करने का अधिकार होगा, जो सुरक्षित हों और आयु के अनुसार उपयुक्त हों। इनके लिए विशेष प्लेटफॉर्म्स पर सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।
- ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण: राष्ट्रीय स्तर पर एक विनियामक प्राधिकरण गठित किया जाएगा। यह प्राधिकरण-
- खेलों की श्रेणी तय करेगा,
- उन्हें पंजीकृत करेगा,
- यह निर्णय लेगा कि कोई खेल "मनी गेम" है या नहीं, और
- साथ ही शिकायतों का समाधान भी करेगा।
- अपराध और दंड: इस कानून के तहत आने वाले अपराध संज्ञेय (Cognisable) और गैर-जमानती होंगे।
- ऑनलाइन मनी गेम्स उपलब्ध कराने पर 3 साल तक की कैद और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- ऐसे खेलों का विज्ञापन करने पर 2 साल तक की कैद और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- कॉरपोरेट और संस्थागत जिम्मेदारी: कंपनियों और उनके अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। हालांकि, ऐसे स्वतंत्र या गैर-कार्यकारी निदेशकों को छूट दी जाएगी, जो वास्तविक निर्णय-निर्माण में शामिल नहीं थे।
- जांच और प्रवर्तन के अधिकार: केंद्र सरकार अधिकारियों को जांच, तलाशी एवं जब्ती के लिए अधिकृत कर सकती है। कुछ मामलों में बिना वारंट के गिरफ्तारी करने का भी अधिकार होगा।
ऑनलाइन गेमिंग के खतरों से निपटने के लिए अन्य महत्वपूर्ण पहलें
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हालांकि, यह अधिनियम ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने और डिजिटल युग में नागरिकों की सुरक्षा के संदर्भ में कई लाभ प्रदान करता है, लेकिन यह नीतिगत अस्थिरता और अनिश्चितता को लेकर चिंताएं भी पैदा करता है। तेजी से बढ़ते ऑनलाइन मनी गेमिंग क्षेत्रक पर अचानक प्रतिबंध लगाने से नीतिगत असंगतता की धारणा पैदा होने का खतरा है। इससे उद्योग और निवेशकों का विश्वास कमजोर हो सकता है, खासकर भारत में विदेशी निवेश के प्रवाह पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष
ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन अधिनियम, 2025 भारत के डिजिटल परिदृश्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध होगा। इसका लक्ष्य नागरिकों को ऑनलाइन मनी-गेमिंग उद्योग की शोषणकारी प्रथाओं से बचाना है और साथ ही वैध ई-स्पोर्ट्स एवं सोशल गेमिंग के विकास को प्रोत्साहित करना है। ऐसा करके, इसका उद्देश्य देश की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, नवाचार को बढ़ावा देना और सबसे बढ़कर, यह सुनिश्चित करना है कि तकनीक सामाजिक कल्याण का साधन बने, न कि नुकसान का।