GST परिपत्र समीक्षा और उद्योग की चिंताएँ
9 सितंबर को जारी हालिया परिपत्र में GST दरों में कमी के बाद निर्माताओं और आयातकों को बिना बिके स्टॉक के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) को समायोजित करने का आदेश दिया गया है। यह परिपत्र समीक्षाधीन है।
उद्योग की चुनौतियाँ
- पहले से भुगतान किए गए उच्च इनपुट करों से संचित इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के कारण व्यवसायों को कीमतों को पूरी तरह से कम करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- इन उच्च इनपुट करों के लिए रिफंड का अभाव उनकी चुनौतियों को और बढ़ा देता है।
सरकार की प्रतिक्रिया
- केंद्रीय वित्त मंत्रालय और उपभोक्ता मामले विभाग वितरकों और डीलरों के लिए संचित ITC के संबंध में उद्योग की प्रतिक्रिया का आकलन कर रहे हैं।
- बिना बिके स्टॉक के लिए संशोधित मूल्य निर्धारण में संभावित समायोजन पर 31 दिसंबर तक विचार किया जा सकता है।
- निश्चित छोटे पैकेट मूल्य वाले उत्पादों तथा वर्तमान में रियायती मूल्य पर बेचे जाने वाले उत्पादों के लिए स्पष्टीकरण जारी किया जा सकता है।
उद्योग प्रतिक्रिया
- व्यवसायियों का कहना है कि GST दरों में कटौती से दोहरी मार पड़ेगी: ITC का संचय होगा और उल्टे शुल्क ढांचे के कारण कोई रिफंड नहीं मिलेगा।
- ITC प्रभाव को ध्यान में रखते हुए मूल्य में कमी में लचीलापन, संक्रमणकालीन राहत प्रदान कर सकता है।
GST संबंधी व्यापक मुद्दे
- वित्त मंत्रालय GST दर में कटौती के बाद उल्टे शुल्क ढांचे से कंपनियों को होने वाले संभावित नुकसान से निपटने के तरीके तलाश रहा है।
- कच्चे माल की दर में समायोजन किए बिना दरों को 12% से 5% तक पुनर्गठित करने से FMCG और पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों में शुल्क व्युत्क्रमण की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
- निर्माण और आतिथ्य क्षेत्र ने CBIC के साथ बैठक के दौरान एक विशेष GST तंत्र और ITC पर स्पष्टता का अनुरोध किया है।
निष्कर्ष
- इस समीक्षा का उद्देश्य उद्योग की आवश्यकताओं को विनियामक अनुपालन के साथ संतुलित करना तथा GST दर समायोजन के दौरान संक्रमणकालीन चुनौतियों को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना है।