पूम्पुहार तट पर अन्तर्जलीय पुरातात्विक अन्वेषण
तमिलनाडु राज्य पुरातत्व विभाग (TNSDA) ने भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के सहयोग से, मयिलादुथुराई जिले के एक प्राचीन बंदरगाह शहर पूम्पुहार (जिसे कावेरीपूमपट्टिनम के नाम से भी जाना जाता है) के तट पर अन्तर्जलीय पुरातात्विक अन्वेषण शुरू किया है।
पृष्ठभूमि
- पूम्पुहार क्षेत्र में अंतिम बार अन्तर्जलीय सर्वेक्षण 1990 के दशक में किया गया था।
- यह पहल 2025-26 के तमिलनाडु बजट के बाद की गई है, जिसमें वित्त मंत्री थंगम थेन्नारसु ने गहरे समुद्र में खुदाई की योजना की घोषणा की थी।
- इसका ध्यान प्रारंभिक चोल राजधानी पूम्पुहार और दक्षिण-पूर्व एशिया से जुड़े मध्ययुगीन व्यापार केंद्र नागपट्टिनम के बीच के क्षेत्र पर केंद्रित है।
अन्वेषण से संबंधित बातें
- वर्तमान अन्वेषण का नेतृत्व प्रख्यात पुरातत्वविद् के. राजन और TNSDA के संयुक्त निदेशक आर. शिवनाथम कर रहे हैं।
- गोताखोरों की एक टीम उन्नत उपकरणों का उपयोग करके विसंगतियों का मानचित्रण और दस्तावेजीकरण कर रही है।
- सर्वेक्षण में साइड-स्कैन सोनार, इको साउंडर्स, अंडरवाटर रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROV) और सब-बॉटम प्रोफाइलर्स का उपयोग किया जाता है।
- परिणाम डेटा संकलन और व्याख्या के बाद उपलब्ध होंगे।
महत्व
इस पहल का उद्देश्य संगम और संगमोत्तर साहित्य में वर्णित प्राचीन तमिल सभ्यता की प्राचीनता का पता लगाना तथा विश्व के समक्ष तमिलनाडु की विरासत को प्रदर्शित करना है।
सरकार की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के नेतृत्व में DMK सरकार तमिल पुरातनता को उजागर करने और राज्य की सांस्कृतिक विरासत को उजागर करने पर जोर दे रही है।