IT सेवाओं और वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) पर अमेरिकी H-1B वीज़ा शुल्क का प्रभाव
सभी नए H-1B वीज़ा आवेदनों के लिए 100,000 डॉलर शुल्क लेने के संयुक्त राज्य अमेरिका के निर्णय से IT सेवा उद्योग पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है, जिससे इस वीज़ा चैनल पर निर्भरता में कमी आएगी।
भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) के लिए अवसर
इस फैसले को भारत के तेजी से बढ़ते वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) के लिए फायदेमंद माना जा रहा है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियां तकनीक-आधारित कार्यों के लिए इन केंद्रों पर अधिक निर्भर हो सकती हैं। इससे रिवर्स ब्रेन ड्रेन की स्थिति पैदा हो सकती है और पेशेवर बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुरुग्राम जैसे शहरों में स्थित वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) में अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत लौट सकते हैं।
GCC के लिए चुनौतियाँ
GCC के विकास के बावजूद, कई देश अभी तक अपेक्षित परिपक्वता स्तर तक नहीं पहुँच पाए हैं और उन्हें मूल्य-सृजन केंद्रों के बजाय वितरण केंद्रों के रूप में देखा जा रहा है। H-1B वीज़ा और आउटसोर्सिंग पर अमेरिका के प्रतिकूल रुख के बीच यह एक चुनौती है।
- KPMG इंडिया ने GCC को अधिक मूल्यवर्धित कार्य में संलग्न होने की आवश्यकता पर बल दिया है।
- BCG की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल 8% भारतीय GCC को शीर्ष प्रदर्शनकर्ता तथा 66% को औसत प्रदर्शनकर्ता के रूप में वर्गीकृत किया गया है।