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अर्थव्यवस्था की स्थिति: पुन: तेज गति की ओर (State of the economy: Getting back into the fast lane) | Current Affairs | Vision IAS
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अर्थव्यवस्था की स्थिति: पुन: तेज गति की ओर (State of the economy: Getting back into the fast lane)

Posted 18 Sep 2025

1 min read

परिचय

  • वर्ष 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.3 प्रतिशत की आर्थिक संवृद्धि दर्ज की गई। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अगले पांच वर्षों में 3.2 प्रतिशत की वैश्विक संवृद्धि दर का अनुमान लगाया है।
  • आपूर्ति श्रृंखला के बाधित होने और विदेशों में कम मांग के कारण विशेष रूप से यूरोप और कुछ एशियाई देशों में वैश्विक विनिर्माण में धीमी वृद्धि दर्ज की गई।
  • सेवा क्षेत्रक ने तुलनात्मक तौर पर बेहतरीन प्रदर्शन किया जिससे कई देशों की अर्थव्यवस्था को गति मिली।

वैश्विक आर्थिक परिदृश्य

  • मुद्रास्फीति संबंधी दबाव: विश्व की अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति की दर लगातार कम हो रही है, जो केंद्रीय बैंकों के लक्षित स्तरों के करीब पहुंच रही है। 
    • ऐसा प्रतीत होता है कि सेवा क्षेत्रक में मुद्रास्फीति के उच्च बने रहने के कारण अवस्फीति (Disinflation) धीमी हो गई, जबकि मुख्य (कोर) वस्तुओं की मुद्रास्फीति कम होकर नगण्य स्तर तक पहुंच गई।
  • वैश्विक अनिश्चितता:
    • मध्य पूर्व में तनाव ने महत्वपूर्ण शिपिंग मार्गों में से एक - स्वेज नहर (वैश्विक समुद्री व्यापार के 15% के लिए जिम्मेदार) के माध्यम से व्यापार को बाधित कर दिया।
    • वैश्विक आर्थिक नीतियों को लेकर चिंताओं के कारण भू-राजनीतिक आर्थिक नीति अनिश्चितता सूचकांक (Geopolitical Economic Policy Uncertainty index) 121.7 (2023) से बढ़कर 133.6 (2024) हो गया।
    • व्यापारिक तनाव और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में नीतिगत बदलावों के कारण विश्व व्यापार अनिश्चितता सूचकांक (World Trade Uncertainty Index) 8.5 (2023) से बढ़कर 13 (2024) हो गया।

भारतीय अर्थव्यवस्था

  • संवृद्धि: राष्ट्रीय आय पर पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार वित्त वर्ष 25 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (रियल जीडीपी) की संवृद्धि 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है; जो इसके दशकीय औसत के लगभग बराबर है।
  • मांग पक्ष: स्थिर मूल्यों पर निजी अंतिम उपभोग व्यय 7.3 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जो ग्रामीण मांग के बढ़ने से हुआ है। 
  • आपूर्ति पक्ष: वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (GVA) के भी 6.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान है।
  • क्षेत्रकवार प्रदर्शन: 
    • कृषि क्षेत्रक में वित्त वर्ष 25 में 3.8 प्रतिशत की संवृद्धि अनुमानित है। 
    • औद्योगिक क्षेत्र में वित्त वर्ष 25 में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। 
      • निर्माण गतिविधियों तथा बिजली, गैस, जल की आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाओं में मजबूत संवृद्धि दर से औद्योगिक विस्तार का समर्थन करने की संभावना है। 
    • वित्तीय, रियल एस्टेट, पेशेवर सेवाओं, लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में सकारात्मक गतिविधियों की वजह से सेवा क्षेत्रक में 7.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि प्राप्त होने की संभावना है।
  • विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, भारत विनिर्माण 'क्रय प्रबंधक सूचकांक (Purchasing Managers' Index: PMI)' में तेज वृद्धि दर्ज करता रहा है।
  • वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्रक PMI में विस्तार (वृद्धि) देखा गया। इसकी वजहें थीं- नये व्यवसाय (आर्डर) मिलना, मांग में तेज वृद्धि और रोजगार सृजन में तेजी।
  • मुद्रास्फीति: रिटेल हेडलाइन मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 24 की 5.4 प्रतिशत से घटकर अप्रैल-दिसंबर 2024 में 4.9 प्रतिशत हो गई। रिटेल हेडलाइन मुद्रास्फीति वास्तव में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में बदलाव का मापन है।  
  • पूंजीगत व्यय (कैपेक्‍स) में वित्त वर्ष 2021 से 2024 तक लगातार सुधार हुआ है। 
    • आम चुनाव के बाद, कैपेक्‍स (CAPEX) में जुलाई से नवंबर 2024 के दौरान पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
  • बाह्य क्षेत्रक:
    • वैश्विक सेवा निर्यात में भारत की सातवीं सबसे बड़ी हिस्सेदारी है, जो इस क्षेत्रक में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को रेखांकित करता है।
    • अप्रैल से दिसंबर 2024 के दौरान, गैर-पेट्रोलियम तथा गैर-रत्न व आभूषण निर्यात में 9.1% की वृद्धि दर्ज हुई, जो अस्थिर वैश्विक परिस्थितियों के बीच भारत के व्यापारिक निर्यात की मजबूती को दर्शाता है।
  • रोजगार संबंधी रुझान:
    • वर्ष 2023-24 के वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) रिपोर्ट के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर 2017-18 में 6 प्रतिशत से लगातार कम होकर 2023-24 में 3.2 प्रतिशत हो गई। 
    • भारत में औपचारिक क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के निवल सब्सक्रिप्शन वित्त वर्ष 19 के 61 लाख से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 131 लाख हो गए। 

परिदृश्य और आगे की राह 

  • विकास के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए, आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2026 में वास्तविक जीडीपी संवृद्धि  6.3 और 6.8% के बीच रहने का अनुमान है।
  • अर्थव्यवस्था की समग्र प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाने तथा आर्थिक गतिविधि के उच्च स्तर को बनाए रखते हुए मध्यम अवधि में संवृद्धि दर को बढ़ाने के लिए जमीनी स्तर पर गैर-विनियमन को बढ़ावा देने एवं आधारभूत स्तर पर सुधार करने की आवश्यकता है।

एक-पंक्ति में सारांश

मजबूत घरेलू मांग, बुनियादी ढांचे में निवेश और समष्टि आर्थिक स्थिरता के कारण भारत की आर्थिक संवृद्धि मजबूत बनी हुई है, लेकिन मुद्रास्फीति और वैश्विक आर्थिक गिरावट या मंदी जैसे बाहरी जोखिमों के लिए सतर्क नीतिगत प्रबंधन की आवश्यकता है।

 

 

UPSC के लिए प्रासंगिकता  

  • आर्थिक विकास और स्थिरता (GS-3: भारतीय अर्थव्यवस्था, संवृद्धि संबंधी ट्रेंड्स और नीतियां) 
  • मुद्रास्फीति नियंत्रण और राजकोषीय नीति (GS-3: अर्थव्यवस्था, मौद्रिक और राजकोषीय नीतियां) 
  • निवेश एवं बुनियादी ढांचा विकास (GS-3: आर्थिक विकास, उद्योग) 
  • वैश्विक आर्थिक रुझान और भारत पर प्रभाव (GS-2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध, GS-3: बाह्य क्षेत्रक)
  • Tags :
  • Global Economy
  • Indian Economy
  • India's GDP Growth
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