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सामाजिक क्षेत्र: पहुंच का विस्तार करना और सशक्तिकरण को प्रोत्साहन (Social Sector: Extending Reach and Driving Empowerment) | Current Affairs | Vision IAS
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सामाजिक क्षेत्र: पहुंच का विस्तार करना और सशक्तिकरण को प्रोत्साहन (Social Sector: Extending Reach and Driving Empowerment)

Posted 18 Sep 2025

1 min read

परिचय

  • आर्थिक और सामाजिक विकास की शुरुआत सतत और समावेशी आर्थिक वृद्धि से होती है, जो विकसित भारत 2047 के विजन का केंद्रबिंदु है।
  • आर्थिक संवृद्धि को सार्थक विकास में बदलने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, कौशल विकास के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाने आदि पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।

सामाजिक सेवाओं पर व्यय की प्रवृत्तियां 

  • वित्त वर्ष 2017 से सरकार के सामाजिक सेवा व्यय (SSE) में वृद्धि का रुझान देखने को मिला है। वित्त वर्ष 21 (कोविड महामारी वर्ष) से वित्त वर्ष 25 (बजट अनुमान) के दौरान सामाजिक सेवा व्यय 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है। 
    • शिक्षा क्षेत्रक पर व्यय 12 प्रतिशत की CAGR से बढ़ा है। 
    • स्वास्थ्य क्षेत्रक पर व्यय 18 प्रतिशत की CAGR से बढ़ा है।

परिणाम 

  • शहरी-ग्रामीण अंतर: मासिक प्रति व्यक्ति व्यय (MPCE) अंतर 2011-12 में 84% था, जो 2023-24 में घटकर 70% रह गया।
  • असमानता में कमी: गिनी गुणांक में ग्रामीण क्षेत्रों (2022-23 में 0.266 से घटकर 2023-24 में 0.237 हो गया) और शहरी क्षेत्रों (2022-23 में 0.314 से घटकर 2023-24 में 0.284 हो गया) में सुधार हुआ है। 

शिक्षा

  • प्रमुख पहलें: नई शिक्षा नीति (2020), निष्ठा/NISHTHA (शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए); डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग (दीक्षा/DIKSHA), पीएम श्री, पीएम पोषण आदि।
  • प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा: आधारशिला, नवचेतना, प्रारंभिक बाल्यावस्था अभिप्रेरणा के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क।
  • प्रगति: प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (GER) लगभग सार्वभौमिक स्तर (93%) पर पहुंच गया है। स्कूल छोड़ने की दरें लगातार कम हो रही हैं।
    • 18-23 आयु वर्ग के लिए उच्चतर शिक्षा में GER भी 2014-15 के 23.7% से बढ़कर 2021-22 में 28.4% हो गया।
  • डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा में भेदभाव या अंतर को कम करना: स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पाइरिंग माइंड्स (SWAYAM/ स्वयं), ई-विद्या (e-VIDYA), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आदि।

स्वास्थ्य देखभाल

  • स्वास्थ्य देखभाल पर सरकारी व्यय 29.0% से बढ़कर 48% हो गया।
  • बच्चों और किशोरों में बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और गैर-संचारी रोग (NCDs): भारत में NCDs के कारण होने वाली मौतों का अनुपात 1990 के 37.9% से बढ़कर 2016 में 61.8% हो गया।
  • प्रगति: कुल स्वास्थ्य व्यय में जेब से होने वाले खर्च (आउट ऑफ पॉकेट एक्सपेंडिचर) की हिस्सेदारी 62.6% से घटकर 39.4% हो गई है।
  • प्रमुख पहलें: आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY), सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) का स्थानीयकरण, जन औषधि योजना आदि।
  • परिवर्तनकारी तकनीक द्वारा समावेशी और समान स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना: U-WIN, ई-संजीवनी, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM), 'i-DRONE' (ICMR का पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ड्रोन चिकित्सा आपूर्ति सुविधा और आउटरीच) आदि।

ग्रामीण अवसंरचना 

  • सड़कें: प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत 99.6 प्रतिशत लक्षित बस्तियों तक कनेक्टिविटी प्रदान की गई। 
    • प्रधान मंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN) के तहत एक अलग वर्टिकल शुरू किया गया है।
  • आवास: प्रधान मंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के अधीन 2016 से अब तक 2.69 करोड़  घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। 
  • जल निकाय: मिशन अमृत सरोवर के अधीन 68,843 अमृत सरोवर (तालाब) का निर्माण किया गया। 
  • पीने का पानी: जल जीवन मिशन के तहत 12.2 करोड़ परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं।

SDGs का स्थानीयकरण

  • मिशन अंत्योदय के अधीन ग्राम पंचायत विकास योजनाओं और 'आकांक्षी जिलों का परिवर्तन कार्यक्रम (Transformation of Aspirational Districts Programme: TADP)' के माध्यम से ग्राम पंचायत (GP) स्तर पर SDGs के स्थानीयकरण का अनुसरण किया जा रहा है।
  • सामाजिक समावेशन और जेंडर: स्थानीय स्तर पर जेंडर संबंधी मुद्दों को हल करने के लिए जेंडर संसाधन केंद्र (GRCs) और जेंडर प्वाइंट पर्सन्स (GPPs) पहलें शुरू की गई हैं।

ग्रामीण आय में वृद्धि 

  • दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY NRLM) 
    • क्षमता निर्माण: 10.05 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों को 90.90 लाख स्वयं-सहायता समूहों (SHGs) में संगठित किया गया।
    • वित्तीय समावेशन: 1.37 लाख SHGs महिला बैंकिंग सदस्यों को कॉरेस्पॉन्डेंट सखी के रूप में तैनात किया गया, स्वयं सहायता समूहों को 49,284 करोड़ रुपये की पूंजी सहायता प्रदान की गई। 
    • कृषि आजीविका: 2.64 करोड़ से अधिक परिवारों के पास कृषि-पोषक उद्यान हैं, 4.30 करोड़ महिला किसानों को कवर किया गया। 
    • गैर-कृषि आजीविका: स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (SVEP): 31 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के 280 ब्लॉकों में लगभग 3.13 लाख उद्यम। 
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना:
    • 99.98% भुगतान राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड प्रबंधन प्रणाली (NEFMS) के माध्यम से किए जाते हैं। मजदूरी DBT के तहत, आधार-आधारित भुगतान के माध्यम से हस्तांतरित की जाती है।
    • स्थिर ग्रामीण संपत्ति निर्माण कार्यक्रम के रूप में विकसित हुआ, जो सतत आजीविका विविधीकरण के लिए है।
    • विभिन्न पहलों के साथ मिलकर कार्य किया, जिसमें NRLM के साथ न्यूट्री गार्डन, पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) के साथ चारा फार्म आदि शामिल हैं।

भावी परिदृश्य

  • स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास भारत में संवृद्धि प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए 'सभी के लिए कल्याण' दृष्टिकोण बहुत महत्वपूर्ण रहा है।
  • वितरण तंत्र और लर्निंग आउटकम्स पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही पारदर्शिता और डिस्क्लोजर द्वारा समर्थित विश्वास आधारित विनियमन और बाजारों को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है।

एक-पंक्ति में सारांश

भारत के सामाजिक क्षेत्रक सुधार शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और ग्रामीण विकास पर केंद्रित हैं, लेकिन गुणवत्ता, पहुँच और वित्तीय स्थिरता अभी भी प्रमुख चुनौतियां बनी हुई है।

 

 

UPSC के लिए प्रासंगिकता

  • शिक्षा सुधार और NEP 2020 (GS-2: शासन, शिक्षा नीति)
  • स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना और सार्वजनिक स्वास्थ्य (GS-2: सामाजिक न्याय, स्वास्थ्य देखभाल नीति)
  • ग्रामीण विकास और रोजगार योजनाएं (GS-3: अर्थव्यवस्था, GS-2: गवर्नेंस)
  • महिला और बाल विकास नीतियाँ (GS-2: सामाजिक मुद्दे, कल्याण कार्यक्रम)
  • Tags :
  • Education
  • Healthcare
  • Localisation of SDGs
  • Social Sector
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