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कृषि और खाद्य प्रबंधन: भविष्य का क्षेत्र (Agriculture And Food Management: Sector of The Future) | Current Affairs | Vision IAS
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कृषि और खाद्य प्रबंधन: भविष्य का क्षेत्र (Agriculture And Food Management: Sector of The Future)

Posted 18 Sep 2025

1 min read

परिचय

  • 'कृषि और संबद्ध गतिविधियां' क्षेत्रक ने चालू मूल्यों पर वित्त वर्ष 2024 के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 16% का योगदान दिया है और यह लगभग 46.1% आबादी का समर्थन करता है।
  • बागवानी, पशुधन और मत्स्य पालन जैसे हाई वैल्यू वाले क्षेत्रक समग्र कृषि विकास के प्रमुख चालक बन गए हैं।
  • भारत विश्व का 11.6% खाद्यान्न उत्पादित करता है, लेकिन इसकी फसल पैदावार अन्य शीर्ष उत्पादकों देशों की तुलना में बहुत कम है।
  • वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अरहर और बाजरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में उत्पादन की भारित औसत लागत पर क्रमशः 59% एवं 77% की वृद्धि की गई है।

बीज-गुणवत्ता और उर्वरकों का उपयोग: महत्वपूर्ण विभेदक

  • 2023-24 फसली मौसम में, ICAR ने 81 फसलों के लिए 1,798 किस्मों में 1.06 लाख क्विंटल ब्रीडर सीड्स का उत्पादन किया है।
  • प्रमुख हस्तक्षेपों में बीज बैंक, 'यूरिया गोल्ड' (पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाने के लिए यूरिया को सल्फर के साथ मिलाया जाता है), पीएम प्रणाम पहल शामिल हैं।

वर्षा और सिंचाई प्रणाली: दक्षता निर्माण एवं कवरेज का विस्तार 

  • कृषि क्षेत्रक मौसम परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, यहां कुल बोए गए क्षेत्र का केवल 55% ही सिंचित है।
  • इसके अलावा भारत की दो तिहाई कृषि भूमि सूखे के खतरे का सामना कर रही है।
  • इस पहलू में प्रमुख हस्तक्षेपों में प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC) प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY), सूक्ष्म सिंचाई निधि (MIF), वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (RAD) आदि शामिल हैं।

कृषि ऋण: एक महत्वपूर्ण इनपुट

  • भारत में 7.75 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खाते क्रियाशील हैं।
  • मत्स्य पालन और पशुपालन की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिए 2018-19 में KCC का विस्तार किया गया था। 
  • इस क्षेत्रक में प्रमुख हस्तक्षेपों में संशोधित ब्याज अनुदान योजना (MISS), शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (Prompt Repayment Incentive: PRI), प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), पीएम किसान आदि शामिल हैं।

कृषि मशीनीकरण: पहुंच को सुगम बनाना

  • मशीनरी की उच्च लागत लघु और सीमांत किसानों के बीच कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने में एक गंभीर बाधा प्रस्तुत करती है।
  • इस संबंध में प्रमुख हस्तक्षेपों में कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (Sub-Mission on Agricultural Mechanisation: SMAM) शामिल है, जो कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHCs) स्थापित करने में मदद करता है। कृषि मशीनरी बैंक सस्ती दरों पर मशीनरी किराए पर लेने में सक्षम बनाता है और महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को ड्रोन भी प्रदान किए गए हैं।

कृषि विस्तार (Agriculture extension): एक सक्षमकर्ता

  • ज्ञान के प्रसार, उत्पादकता बढ़ाने और संधारणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने में कृषि विस्तार महत्वपूर्ण है।
  • प्रमुख हस्तक्षेप: इसमें कृषि विस्तार सेवाओं को बढ़ावा देने, उद्यमशीलता को बढ़ाने और उत्पादकता में सुधार लाने के लिए कृषि विस्तार उप-मिशन (Sub-Mission on Agricultural Extension (SMAE) शामिल है।

कृषि विपणन अवसंरचना में सुधार

  • इसके तहत प्रमुख हस्तक्षेपों में कृषि विपणन अवसंरचना (Agriculture Marketing Infrastructure: AMI) उप-योजना, कृषि अवसंरचना कोष (Agriculture Infrastructure Fund: AIF), e-NAM योजना आदि शामिल हैं।

कृषि में जलवायु संबंधी कार्रवाई

  • अध्ययनों से संकेत मिला है कि 2099 तक वार्षिक तापमान में 2°C की संभावित वृद्धि तथा वार्षिक वर्षा में 7% की वृद्धि से भारतीय कृषि उत्पादकता में 8-12% की गिरावट आ सकती है।
  • प्रमुख हस्तक्षेप: राष्ट्रीय संधारणीय कृषि मिशन, परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY), पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (MOVCDNER) आदि।

संबद्ध क्षेत्रक: रेसिलिएंस का निर्माण करने की क्षमता

  • मत्स्य पालन क्षेत्रक में 8.7% की उच्चतम चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) हुई है। इसके बाद पशुधन क्षेत्रक में 8% की CAGR वृद्धि देखने को मिली है।
  • प्रमुख हस्तक्षेप: राष्ट्रीय गोकुल मिशन, पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम, प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), मत्स्य पालन और जलकृषि अवसंरचना विकास निधि (Fisheries and Aquaculture Infrastructure Development Fund: FIDF)।

सहकारी समितियां: बेहतर सेवा देने के लिए संस्था को मजबूत बनाना

  • ये कृषि, ऋण व बैंकिंग, आवास और महिला कल्याण सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • प्रमुख हस्तक्षेप: इनमें प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के लिए विशेष रूप से मॉडल उप-नियम (Model Bye-Laws), PACS को सामान्य सेवा केंद्रों (CSC) में तब्दील करना, खुदरा पेट्रोल और डीजल दुकानों की स्थापना तथा सहकारी समितियों के भीतर माइक्रो-ATM की स्थापना करना शामिल है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग: अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण

  • यह संगठित क्षेत्रक में कुल रोजगार का 12.41% प्रदान करता है।
  • वित्त वर्ष 2024 में कृषि-खाद्य निर्यात भारत के कुल निर्यात का लगभग 11.7% था।
  • कृषि-खाद्य निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात का हिस्सा वित्त वर्ष 2018 के 14.9% से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 23.4% हो गया है।
  • प्रमुख हस्तक्षेप: प्रधान मंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY), खाद्य प्रसंस्करण के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना (PLISFPI), प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारीकरण (PMFME) योजना।

खाद्य प्रबंधन: खाद्य सुरक्षा को सक्षम बनाना

  • प्रमुख हस्तक्षेप: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA); प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना; किसानों के लिए फसल की कटाई के बाद ऋण की सुविधा हेतु इलेक्ट्रॉनिक-नेगोशिएबल वेयरहाउस रिसिप्ट (e-NWR)-बेस्ड प्लेज फाइनेंसिंग (CGS-NPF) के लिए ऋण गारंटी योजना आदि।

निष्कर्ष

भारत का कृषि क्षेत्रक आर्थिक संवृद्धि और खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। चुनौतियों के बावजूद, सरकारी पहलों के समर्थन द्वारा इसने संतुलित विकास के साथ रेसिलिएंस दिखाया है। इससे उत्पादकता बढ़ाने, फसलों में विविधता लाने और किसानों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में मदद मिली है।

एक-पंक्ति में सारांश

भारत का कृषि क्षेत्रक उत्पादकता संबंधी सुधारों, डिजिटल नवाचारों और क्लाइमेट रेजिलिएंस के माध्यम से रूपांतरित हो रहा है, लेकिन बाजार पहुंच, वित्तीय सहायता तथा संधारणीयता संबंधी चुनौतियां बनी हुई हैं।

 

UPSC के लिए प्रासंगिकता

  • कृषि विकास एवं चुनौतियां (GS-3: भारतीय अर्थव्यवस्था, कृषि सुधार)
  • खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) (GS--2: गवर्नेंस, GS-3: अर्थव्यवस्था)
  • क्लाइमेट रेजिलिएंट कृषि और जल प्रबंधन (GS--3: पर्यावरण और कृषि)
  • खेती में प्रौद्योगिकी का उपयोग (GS--3: डिजिटल अर्थव्यवस्था, परिशुद्धता कृषि)
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  • Agriculture
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