परिचय
- IMF के अनुसार वैश्विक मुद्रास्फीति 2022 में 8.7 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर थी, जो 2024 में घटकर 5.7 प्रतिशत हो गई।
- कोर मुद्रास्फीति: एक दशक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई।
घरेलू मुद्रास्फीति

- भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (रिटेल इन्फ्लेशन): FY24 की 5.4% से घटकर FY25 (अप्रैल-दिसंबर 2024) में 4.9% हो गई।
- खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट का कारण: कोर मुद्रास्फीति में वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 के बीच 0.9 प्रतिशत बिंदु की गिरावट दर्ज की गई, जो मुख्य रूप से कोर सेवा मुद्रास्फीति और ईंधन मूल्य मुद्रास्फीति में कमी के कारण हुई।
- कोर मुद्रास्फीति में गिरावट मुख्य रूप से कोर सेवा मुद्रास्फीति के कारण हुई, जो कोर वस्तु मुद्रास्फीति से कम रही।
खाद्य मुद्रास्फीति (फूड इन्फ्लेशन)
- पिछले दो वर्षों में भारत की खाद्य मुद्रास्फीति दर स्थिर बनी हुई है।
- चरम मौसम संबंधी घटनाएं (चक्रवात, भारी वर्षा, ओलावृष्टि, सूखा, लू आदि) सब्जी उत्पादन (मुख्य रूप से प्याज और टमाटर) और आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करती हैं, जिससे खुदरा कीमतों पर असर पड़ता है।
- उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) वित्त वर्ष 2024 के 7.5% से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 8.4% हो गया, जिसका प्रमुख कारण कुछ खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से सब्जियों और दालों की कीमतों में वृद्धि है।
- CPI बास्केट से तीन सबसे अधिक मूल्य-संवेदनशील सब्जियों; टमाटर, प्याज और आलू (TOP) को बाहर करने पर वित्त वर्ष 2025 में औसत खाद्य मुद्रास्फीति दर 6.5 प्रतिशत रही।
- खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने के लिए प्रशासनिक उपाय:
- अनाज: गेहूं पर भंडारण सीमा (स्टॉक लिमिट) लगाई गई; खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत केंद्रीय भंडार से गेहूं और चावल जारी किए गए; भारत ब्रांड के तहत गेहूं का आटा और चावल की बिक्री की गई।
- दालें: भारत ब्रांड के तहत चना दाल, मूंग दाल और मसूर दाल की बिक्री की गई; तूर और देसी चना पर भंडारण सीमा लागू की गई; देसी चना, तूर, उड़द, मसूर और पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी गई।
- सब्जियां: प्याज का बफर स्टॉक (मूल्य स्थिरीकरण कोष के तहत 4.7 लाख मीट्रिक टन रबी प्याज की खरीद की गई) रखा गया; सब्सिडी पर प्याज और टमाटर की बिक्री की गई।
भावी परिदृश्य
- उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (CPI): भारतीय रिजर्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान के अनुसार भारत की उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2026 में मुद्रास्फीति लक्ष्य के अनुरूप रहेगी।
- मुद्रास्फीति दर: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के लिए वित्त वर्ष 2025 में 4.4 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2026 में 4.1 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर का अनुमान लगाया है।
- हेडलाइन मुद्रास्फीति: मानसून सामान्य रहने और भविष्य में कोई बाहरी या नीतिगत आघात न आने पर भारतीय रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 में हेडलाइन मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत होगी।
दीर्घकालिक मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के उपाय
- जलवायु-अनुकूल फसल किस्मों का विकास को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे उत्पादन में वृद्धि हो और फसलों के नुकसान को कम किया जा सके।
- किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए ताकि वे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में दालों, टमाटर और प्याज की खेती के लिए सर्वोत्तम पद्धतियों; उच्च उत्पादकता वाली और रोग-प्रतिरोधी बीज किस्मों का उपयोग कर सकें।
- मूल्य, स्टॉक, भंडारण (स्टोरेज) और प्रसंस्करण सुविधाओं की निगरानी के लिए मजबूत डेटा संग्रह और विश्लेषण प्रणाली लागू करना चाहिए, जिससे अलग-अलग स्तरों पर सरकारें डेटा आधारित नीतिगत निर्णय ले सकें।
एक-पंक्ति में सारांशभारत में मुद्रास्फीति स्थिर बनी हुई है, लेकिन इस पर खाद्य कीमतों में अस्थिरता, ईंधन मूल्य में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति श्रृंखला बाधाओं से जोखिम बना हुआ है, जिससे सख्त मौद्रिक नीति और आपूर्ति-पक्ष संबंधी उपाय आवश्यक हो जाते हैं। |
UPSC के लिए प्रासंगिकता
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