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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-AI) युग में श्रम व्यवस्था: संकट या उत्प्रेरक? (Labour in the AI Era: Crisis or Catalyst?) | Current Affairs | Vision IAS
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-AI) युग में श्रम व्यवस्था: संकट या उत्प्रेरक? (Labour in the AI Era: Crisis or Catalyst?)

Posted 18 Sep 2025

1 min read

परिचय

  • पिछले चार वर्षों में श्रम बाजारों में हुए विकास के कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इस क्षेत्रक में व्यापक बदलाव ला देगा।  
  • यह आर्थिक विस्थापन AI द्वारा सामाजिक और आर्थिक विभाजन को बढ़ाने के डर को और पुख्ता करता है।

AI परिदृश्य

  • 2021 और 2023 के बीच, सभी प्रकार के AI में वैश्विक कॉर्पोरेट निवेश कुल 761 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि AI जनित ऑटोमेशन के कारण वैश्विक स्तर पर लगभग 75 मिलियन नौकरियां खतरे में हैं।
  • NASSCOM का अनुमान है कि भारतीय AI बाजार 2027 तक 25 से 35% CAGR की दर से बढ़ेगा।

मानव केंद्रित ऑटोमेशन का भविष्य

  • AI को अपनाना वास्तव में श्रम बाहुल्य भारत के लिए अवसर और चुनौतियां, दोनों प्रस्तुत करती है।
  • पिछली प्रौद्योगिकी क्रांतियाँ कई वजहों से बेहतर नहीं रही हैं। इन्हें सावधानी से प्रबंधित नहीं करने के कारण इनसे व्यापक आर्थिक कठिनाइयां पैदा हुईं, विस्थापित लोगों को लंबे समय तक बेरोजगार रहना पड़ा और आय असमानता बढ़ी। 
  • भारत के श्रम बाजारों में जोखिमों को कम करने के लिए सक्षम, आस्वस्त और प्रबंधन संस्थानों की आवश्यकता है।
  • ऐसे भविष्य के रोजगार के लिए सरकार, निजी क्षेत्रक और शिक्षा जगत के बीच समन्वित प्रयास आवश्यक हैं, जहां AI "श्रम प्रतिस्थापन" के बजाय "श्रम को अधिक कुशल" बना रहा हो।
  • रोजगार  का भविष्य 'ऑगमेंटेड इंटेलिजेंस' के इर्द-गिर्द घूमता है, जहां कार्यबल मानव और मशीन, दोनों क्षमताओं को एकीकृत करता है।

निष्कर्ष

  • नीति निर्माताओं को नवाचार को सामाजिक लागतों के साथ संतुलित करना चाहिए, क्योंकि श्रम बाजार में AI संचालित बदलावों का स्थायी प्रभाव हो सकता है। इसी तरह, कॉर्पोरेट क्षेत्र को भारत की जरूरतों के प्रति संवेदनशीलता के साथ AI की शुरुआत को संभालते हुए जिम्मेदारी से कार्य करना होगा।

एक-पंक्ति में सारांश

AI और ऑटोमेशन भारत के श्रम बाजार को नया आकार दे रहे हैं तथा जोखिम और अवसर, दोनों पेश कर रहे हैं, जिसके लिए नीति-संचालित कार्यबल पुनः कौशल, रोजगार सृजन रणनीतियों और AI-केंद्रित श्रम सुधारों की आवश्यकता है।

 

UPSC के लिए प्रासंगिकता

  • अर्थव्यवस्था पर AI और ऑटोमेशन का प्रभाव (GS-3: डिजिटल अर्थव्यवस्था और भविष्य की प्रौद्योगिकियां)
  • श्रम बाजार नीतियां और कार्य का भविष्य (GS-3: आर्थिक सुधार और नवाचार)
  • रोजगार संरक्षण और गिग अर्थव्यवस्था (GS-3: सामाजिक न्याय और श्रम कानून)
  • ई-गवर्नेंस और गवर्नेंस में AI (GS-2: गवर्नेंस और डिजिटल परिवर्तन)
  • Tags :
  • Labour
  • Labour & AI
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