विमानन सुरक्षा पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशें
एक संसदीय समिति ने भारत के विमानन सुरक्षा क्षेत्र के ज्वलंत मुद्दों के समाधान के लिए कई सिफारिशें की हैं। ये सिफारिशें स्वायत्तता प्रदान करने और कार्मिकों की कमी को दूर करने पर केंद्रित हैं।
DGCA को स्वायत्तता प्रदान करना
- समिति ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को पूर्ण वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता प्रदान करने की सिफारिश की है।
- स्वायत्तता की कमी को DGCA की प्रभावशीलता में सबसे बड़ी बाधा बताया गया है।
- यह स्वायत्तता प्रतिभा को आकर्षित करने, प्रतिस्पर्धी वेतन निर्धारित करने तथा विस्तारित विमानन क्षेत्र में अनुपालन लागू करने के लिए आवश्यक मानी जाती है।
- स्वीकृत पदों की संख्या 1,063 होने के बावजूद केवल 553 पद ही भरे गए हैं, जो लगभग 50% जनशक्ति की कमी को दर्शाता है।
स्टाफिंग और थकान संबंधी मुद्दे
- रिपोर्ट में हवाई यातायात नियंत्रकों (ATCOs) की कमी पर प्रकाश डाला गया है तथा इसे सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया है।
- ATCOs के लिए ड्यूटी समय सीमा का पालन न करने के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) की आलोचना की गई है।
- राष्ट्रीय थकान जोखिम प्रबंधन प्रणाली (FRMS) के लिए सिफारिश और एक व्यापक स्टाफिंग ऑडिट।
- हाल ही में 1,600 ATCOs पद सृजित किए गए हैं, फिर भी कार्यभार संबंधी समस्याएं बनी हुई हैं।
प्रणालीगत सिफारिशें
- रनवे पर अतिक्रमण और बार-बार होने वाली उच्च जोखिम वाली घटनाओं के लिए 'रूट-कॉज एनालिसिस' को अनिवार्य बनाना।
- सुरक्षा लक्ष्य को निरंतर आगे बढ़ाए जाने की वजह से सुधारात्मक प्रोग्राम स्थापित करना।
- राज्य-संचालित हेलीकॉप्टर सेवाओं के लिए एक समान राष्ट्रीय विनियामक ढांचे की मांग की गई है।
- हाल ही में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं के कारण अनिवार्य भू-भाग-विशिष्ट पायलट प्रशिक्षण का सुझाव दिया गया है।