आंगनवाड़ी केंद्र: भारत में प्रारंभिक बाल विकास की नींव
आंगनवाड़ी केंद्र एक पोषण केंद्र से विकसित होकर बच्चों के पहले स्कूल बन गया है, जहाँ बचपन में ही जिज्ञासा, रचनात्मकता और समग्र विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह परिवर्तन प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें बचपन की शिक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में महत्व दिया गया है।
प्रारंभिक बाल्यावस्था विकास का महत्व
- मस्तिष्क का 85% विकास छह वर्ष की आयु से पहले ही हो जाता है, जो शीघ्र निवेश की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- सीएमसी वेल्लोर के एक अध्ययन से पता चलता है कि संरचित प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) से पांच वर्ष की आयु तक आईक्यू में 19 अंकों तक तथा नौ वर्ष की आयु तक 5-9 अंकों तक की वृद्धि हो सकती है।
- नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. जेम्स हेकमैन का अनुमान है कि बचपन में किए गए निवेश पर 13-18% तक रिटर्न मिलता है।
पहलें और कार्यक्रम
- पोषण भी पढ़ाई भी पहल आंगनवाड़ी केंद्रों को प्रारंभिक शिक्षा केंद्रों में बदल देती है।
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को गतिविधि-आधारित, खेल-उन्मुख दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यवस्थित ECCE प्रशिक्षण दिया जाता है।
- आधारशिला 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम प्रदान करती है, जिसमें बौद्धिक, भावनात्मक, शारीरिक और सामाजिक विकास पर जोर दिया जाता है।
संरचित शिक्षण वातावरण
- आधारशिला की 5+1 साप्ताहिक योजना मुक्त खेल, संरचित गतिविधियों, पौष्टिक आहार और बाहरी खेल के साथ संतुलित दैनिक दिनचर्या को प्रोत्साहित करती है।
- यह दृष्टिकोण बच्चों को औपचारिक स्कूली शिक्षा के लिए तैयार करता है, जो छह साल की उम्र में स्कूल शुरू करने की NEP 2020 की नीति के अनुरूप है।
माता-पिता की भागीदारी और राष्ट्रीय फ्रेमवर्क
- नवचेतना फ्रेमवर्क माता-पिता को जन्म से तीन वर्ष की आयु तक के बच्चों के मस्तिष्क को प्रोत्साहित करने के लिए खेल-आधारित गतिविधियों के माध्यम से सशक्त बनाता है।
- राज्य का लक्ष्य समानता लाने वाले के रूप में कार्य करना है, तथा यह सुनिश्चित करना है कि सभी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के बच्चों को पर्याप्त प्रोत्साहन और देखभाल मिले।
निष्कर्ष
पोषण भी पढ़ाई भी और नवचेतना जैसी पहलों के माध्यम से, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारत में प्रत्येक बच्चे को कम उम्र से ही सीखने, बढ़ने और फलने-फूलने का अवसर मिले, जिससे एक विकसित राष्ट्र की नींव रखी जा सके।