उभरते बाजारों में भारत की स्थिति और अमेरिकी टैरिफ
अनुभवी उभरते बाजार निवेशक मार्क मोबियस ने भारत के सामरिक महत्व पर प्रकाश डाला तथा भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभावों पर चर्चा की।
भारतीय बाजारों पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव
- अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाया है, लेकिन भारतीय बाजार अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है।
- जबकि फार्मास्यूटिकल्स, हीरे, रत्न और परिधान जैसे क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, भारतीय उद्यमी अफ्रीका जैसे कम टैरिफ वाले देशों में विनिर्माण के अवसरों की खोज करके अनुकूलन कर रहे हैं।
- भारत में विशाल और तेजी से बढ़ता घरेलू बाजार इन बाहरी चुनौतियों में से कुछ को कम करता है।
चीन और विदेशी निवेश के साथ तुलना
- यद्यपि चीन वर्तमान में भारत से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, तथापि भारत की संवृद्धि दर उच्च है, जो इसे निवेशकों के लिए एक आकर्षक बाजार बनाती है।
- व्यापार विवादों के समाधान और सरकारी सुधारों के प्रभावी होने के बाद विदेशी निवेशकों के 3-4 महीने के भीतर भारत लौटने की उम्मीद है।
सरकारी सुधार
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों का उद्देश्य नौकरशाही के प्रभाव को कम करना, कागजी कार्रवाई को सुव्यवस्थित करना और निर्माताओं पर प्रतिबंध हटाना है।
- इन उपायों से घरेलू विनिर्माण को काफी लाभ मिलने तथा दीर्घकालिक आर्थिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल और फेडरल रिजर्व की नीतियां
- फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को कम करने की ओर बढ़ रहा है, जैसा कि अमेरिकी डॉलर जमा दरों में गिरावट से स्पष्ट है।
- यह प्रवृत्ति निवेशकों को इक्विटी में रिटर्न प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे अमेरिकी और उभरते बाजारों दोनों को लाभ होता है, क्योंकि निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाते हैं।