आदि वाणी अनुवाद उपकरण
जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने जनजातीय भाषाओं को समर्थन और संरक्षण देने के लिए AI-आधारित अनुवाद उपकरण आदि वाणी का बीटा संस्करण पेश किया है।
प्रमुख विशेषताऐं
- इसे IIT-दिल्ली के नेतृत्व में बिट्स पिलानी, IIIT नया रायपुर और झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मेघालय के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों के साथ एक संघ द्वारा विकसित किया गया है।
- हिंदी, अंग्रेजी और विभिन्न जनजातीय भाषाओं के बीच अनुवाद।
- इसका उद्देश्य जनजातीय भाषाओं को डिजिटल बनाना और संरक्षित करना है।
वर्तमान क्षमताएं
- भीली, गोंडी, संताली और मुंडारी भाषाओं का अनुवाद करता है।
- भीली भाषा मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और दादरा एवं नगर हवेली में एक करोड़ से अधिक लोगों द्वारा व्यापक रूप से बोली जाती है।
- कुई (ओडिशा) और गारो (मेघालय, असम, त्रिपुरा) के लिए भविष्य में सहायता योजना बनाई गई है।
जनसंख्या और भाषा सांख्यिकी
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 10.45 करोड़ है, जिसमें 461 जनजातीय भाषाएं और 71 विशिष्ट मातृभाषाएं हैं।
- 82 भाषाओं को असुरक्षित माना गया है।
- 42 भाषाएं गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
विकास और प्रशिक्षण
- कॉर्पस निर्माण में 250 से अधिक देसी वक्ताओं, शिक्षकों और सामुदायिक नेताओं को शामिल किया गया।
- सहयोगियों ने NCERT की पुस्तकों, लोककथाओं और अन्य सामग्रियों का आदिवासी भाषाओं में अनुवाद किया।
शैक्षिक एकीकरण
- इसमें आधारभूत शिक्षा के लिए जनजातीय भाषा की प्राथमिक पुस्तकें शामिल हैं।
- NCERT और केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान द्वारा 117 भाषाओं के लिए प्राइमर विकसित किए गए हैं, जिनमें 89 जनजातीय भाषाएं शामिल हैं।
प्रभाव और लाभ
- जमीनी स्तर पर सरकारी योजनाओं का बेहतर कार्यान्वयन।
- OCR उपकरणों के साथ शैक्षिक सामग्री तक बेहतर पहुंच।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव के अनुसार, यह उपकरण जनजातीय क्षेत्रों में शैक्षिक पहुंच और सरकारी पहलों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।