जनगणना 2027 जियो-टैगिंग पहल
केंद्र सरकार जनगणना 2027 के कार्यों के तहत सभी आवासीय और गैर-आवासीय भवनों को जियो-टैग करने की योजना बना रही है।
जियो-टैगिंग प्रक्रिया
- डिजिटल लेआउट मैपिंग (DLM): इसका उपयोग हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन (HLO) के दौरान जियो-टैगिंग के लिए प्रगणकों द्वारा किया जाएगा।
- मकानसूचीकरण ब्लॉक (HLBs): गांवों या नगर वार्डों के वे क्षेत्र जिन्हें जनगणना कार्यों के लिए मानचित्रित किया जाता है।
- भू-टैग किए गए मानचित्र: भू-टैग किए गए भवन डेटा से प्राप्त स्वचालित रूप से तैयार किए गए लेआउट मानचित्र, जो पिछली जनगणनाओं से हाथ से बनाए गए रेखाचित्रों का स्थान लेते हैं।
श्रेणियाँ और परिभाषाएँ
- भवनों की श्रेणियाँ: भवनों को आवासीय, गैर-आवासीय, आंशिक रूप से आवासीय और ऐतिहासिक स्थलों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
- परिवार की परिभाषा (जनगणना 2011): व्यक्तियों का एक समूह जो सामान्यतः एक साथ रहते हैं और एक ही रसोईघर से भोजन साझा करते हैं।
जियो-टैगिंग के लाभ
- इससे जनगणना संबंधी घरों और परिवारों के आकलन में सटीकता बढ़ती है।
- जमीनी स्तर पर काम करने वाले व्यक्तियों के कार्यभार प्रबंधन में सुधार करता है।
प्रौद्योगिकी संबंधी प्रगति
- डिजिटल जनगणना: मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से एकत्रित डेटा।
- स्व-गणना: स्व-गणना करने का सार्वजनिक विकल्प।
- जनगणना निगरानी एवं मॉनीटरिंग प्रणाली (CMMS): वास्तविक समय निगरानी एवं प्रबंधन के लिए विकसित।
सांख्यिकी और अनुसूची
- घरों की संख्या (जनगणना 2011): कुल 330.84 मिलियन; 220.70 मिलियन ग्रामीण, 110.14 मिलियन शहरी।
- हाउसलिस्टिंग का कार्य: अप्रैल से सितम्बर 2026 तक निर्धारित।
- जनसंख्या गणना: फरवरी 2027 से शुरू होगी, सितंबर 2026 में विशिष्ट क्षेत्रों को छोड़कर।
यह पहल भारत में पहली डिजिटल जनगणना है, जिसका उद्देश्य कुशल डेटा संग्रह और प्रबंधन के लिए तकनीकी प्रगति को शामिल करना है।