जल संरक्षण के लिए मनरेगा में संशोधन
केंद्र ने ग्रामीण ब्लॉकों में जल संरक्षण और संचयन कार्यों पर न्यूनतम व्यय अनिवार्य करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005 की अनुसूची-I में संशोधन किया है।
अधिसूचना संबंधी विवरण
- ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, संशोधन में भूजल निष्कर्षण चरणों के आधार पर व्यय निर्दिष्ट किया गया है।
- यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मनरेगा के तहत जल संरक्षण पर ध्यान केन्द्रित करने की अपेक्षा से प्रभावित थी।
वित्तीय निहितार्थ
- जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (NREGS) के तहत जल-संबंधी कार्यों के लिए लगभग 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे।
भूजल निष्कर्षण श्रेणियाँ और व्यय आवश्यकताएँ
- अति-दोहित और महत्वपूर्ण ब्लॉक
- जिन ब्लॉकों में भूजल का दोहन 90-100% से अधिक है, उन्हें गंभीर माना जाता है तथा जहां भूजल का दोहन 100% से अधिक है, उन्हें अति-दोहित माना जाता है।
- नरेगा कार्य लागत का न्यूनतम 65% जल संरक्षण और संबंधित गतिविधियों के लिए होना चाहिए।
- सेमी-क्रिटिकल ब्लॉक
- भूजल निष्कर्षण 70% से 90% के बीच।
- नरेगा व्यय का न्यूनतम 40% जल-संबंधी कार्यों पर खर्च किया जाएगा।
- सुरक्षित ब्लॉक
- निष्कर्षण स्तर 70% के बराबर या उससे कम।
- जल संरक्षण प्रयासों के लिए न्यूनतम 30% धनराशि।
वर्तमान भूजल स्थिति
- भारत के गतिशील भूजल संसाधनों पर CGWB के राष्ट्रीय संकलन, 2024 के अनुसार:
- 11.13% ब्लॉक अति-दोहित हैं।
- 3.05% गंभीर हैं।
- 10.54% सेमी-क्रिटिकल हैं।
- 73.39% सुरक्षित हैं।