संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत को टैरिफ का झटका
भारत वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका को अपने माल निर्यात पर 50% टैरिफ का सामना कर रहा है, जो एक गंभीर आर्थिक चुनौती पेश कर रहा है। संभावित आर्थिक नुकसान को कम करने और तीव्र आर्थिक विकास की वापसी सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार को इस घटनाक्रम पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
टैरिफ शॉक का प्रभाव
- सीमित तात्कालिक प्रभाव: विश्लेषकों का सुझाव है कि प्रत्यक्ष प्रभाव न्यूनतम हो सकता है, क्योंकि अमेरिका को माल निर्यात भारत के सकल घरेलू उत्पाद का केवल 2% है, जिसमें फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल नहीं हैं।
- दीर्घकालिक जोखिम: अमेरिका भारत का एक प्रमुख आर्थिक साझेदार है और टैरिफ शॉक व्यापार प्रवाह, निवेशक विश्वास, आपूर्ति श्रृंखला और भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर कर सकता है।
प्रभावित फर्मों के प्रकार
- वैश्विक विनिर्माता: विशेष रूप से 50% अमेरिकी टैरिफ के कारण, वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की भारत की आकांक्षाएं खतरे में हैं। यह टैरिफ़ इसे 19-20% टैरिफ का सामना करने वाले एशियाई प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी बनाता है।
- सेवा निर्यातक: भारत के लगभग 60% वैश्विक क्षमता केन्द्रों का मुख्यालय अमेरिका में है तथा तनावपूर्ण अमेरिका-भारत संबंध विस्तार योजनाओं में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
- घरेलू निर्माता: जवाबी कार्रवाई से विदेशी इनपुट पर निर्भर घरेलू निर्माताओं की निवेश योजनाओं में और बाधा आ सकती है।
प्रस्तावित प्रतिक्रियाएँ
- संरक्षणवाद से बचाव: भारत को अंतर्मुखी नहीं होना चाहिए, बल्कि अन्य देशों, जैसे- यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार संबंधों को गहरा करना चाहिए तथा पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ समझौते करने चाहिए।
- सुधारों का कार्यान्वयन: विनियमों को सरल बनाकर और कौशल विकास में निवेश करके निजी निवेश, विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- अमेरिकी संबंधों को बनाए रखना: चुनौतियों के बावजूद, भारत को व्यापक व्यापार सौदों के माध्यम से अमेरिका के साथ आर्थिक जुड़ाव को मजबूत करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
निष्कर्ष
यह स्थिति भारत के 1991 के आर्थिक संकट की याद दिलाती है, जो देश की आर्थिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। निम्न-मध्यम आय वर्ग की स्थिति में ठहराव को रोकने के लिए प्रभावी नीतिगत निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।