​कानूनी राजनीति: राजनीतिक शुचिता के विधेयकों पर | Current Affairs | Vision IAS

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​कानूनी राजनीति: राजनीतिक शुचिता के विधेयकों पर

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प्रस्तावित विधायी परिवर्तनों का अवलोकन

केंद्र सरकार ने तीन विधेयक पेश किए हैं, जिनमें एक संवैधानिक संशोधन भी शामिल है। इसका उद्देश्य प्रधान मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों की ईमानदारी और जवाबदेही को बढ़ाना हैं।

  • यदि किसी अधिकारी को पांच वर्ष या उससे अधिक के कारावास से दंडनीय अपराध के लिए हिरासत में लिया जाता है तो उसे अपने पद से हटना होगा।
  • निर्दोष साबित होने पर वह अपने पद पर वापस आ सकेगा।

चिंताएँ और निहितार्थ

इन प्रस्तावों के पीछे वास्तविक मंशा को लेकर संदेह जताया जा रहा है, तथा सत्ता के केंद्रीकरण को लेकर चिंताएं हैं:

  • विपक्ष और कानूनी विशेषज्ञों का तर्क है कि इन प्रस्तावों से सत्ता केन्द्र के हाथों में केन्द्रित हो सकती है।
  • प्रधानमंत्री पर समान प्रयोज्यता का दावा कमजोर माना जाता है, क्योंकि जांच एजेंसियां ​​केंद्र सरकार के अधीन हैं।
  • देखा गया पैटर्न: केंद्रीय एजेंसियां ​​विपक्ष को निशाना बना रही हैं, जबकि सत्ता पक्ष से जुड़े नेताओं को प्रायः बख्श दिया जाता है।
  • प्रवर्तन निदेशालय और CBI जैसी एजेंसियों द्वारा चयनात्मक प्रवर्तन का वर्तमान पैटर्न ने प्रश्न खड़े किए हैं।

न्यायिक और राजनीतिक निहितार्थ

इन प्रस्तावों के लागू होने से न्याय और राजनीति दोनों ही स्तरों पर गंभीर असर पड़ सकते हैं:

  • राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के विरुद्ध सत्ता का संभावित दुरुपयोग।
  • कठोर कानूनी प्रावधानों के कारण जमानत प्राप्त करना कठिन हो जाता है, जिससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
  • भ्रष्टाचार के मुकदमों का राजनीतिक चरित्र स्पष्ट हो गया है।

संघवाद और विधिक मानक

ये प्रस्ताव संघीय ढांचे और विधिक मानदंडों के लिए चुनौतियां प्रस्तुत करते हैं:

  • यह प्रावधान मुख्यतः राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों पर लागू होगा, जिसके कारण संघीय सिद्धांतों के उल्लंघन का जोखिम बढ़ेगा।
  • राज्यपालों को विधायी निर्णयों पर वीटो देने का अधिकार मिल सकता है, इससे निर्वाचित सरकारों के फैसले बाधित हो सकते हैं।
  • नये प्रस्तावों के कारण निष्पक्ष सुनवाई के बिना ही उन्हें पद से हटाया जा सकता है, जो "दोषी सिद्ध होने तक निर्दोष" के सिद्धांत के विपरीत है।
  • वर्तमान कानून पहले से ही दोषसिद्धि के बाद अधिकारियों को हटाने का प्रावधान करते हैं, जिससे नए प्रस्ताव निरर्थक हो जाते हैं।
  • Tags :
  • Federalism
  • Ministers
  • Legislative Changes
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