भारत की शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रणाली में चुनौतियां
भारत की शिक्षा प्रणाली भविष्य के रोजगार बाज़ार की माँगों के अनुरूप अपने आप को ढालने में बड़ी चुनौती का सामना कर रही है, विशेषकर कार्यबल की उत्पादकता और रोज़गार क्षमता बढ़ाने के मामले में। इन चुनौतियों से निपटने के लिए वर्तमान प्रणाली, विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (VET) का पुनर्मूल्यांकन अत्यंत आवश्यक है।
व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (VET) की वर्तमान स्थिति
- भारत के कार्यबल का केवल 4% ही औपचारिक रूप से प्रशिक्षित है, जबकि देश में 14,000 से अधिक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITIs) और 25 लाख स्वीकृत सीटें उपलब्ध हैं।
- 2022 में VET कार्यक्रमों में लगभग 12 लाख नामांकन हुआ था, जिसमें केवल 48% सीट का उपयोग हुआ।
- 2018 में ITI स्नातकों की रोज़गार दर 63% थी, जबकि जर्मनी और सिंगापुर जैसे देशों की तुलना में काफी कम है, जहां VET स्नातकों के लिए रोजगार दर 80-90% के बीच है।
VET के कम उपयोग और रोजगार में योगदान देने वाले कारक
- एकीकरण का चरण: भारत में VET की शुरुआत हाई स्कूल के बाद की जाती है, जबकि जर्मनी में VET को उच्चतर माध्यमिक स्तर से ही शुरू हो जाता है, जिसमें शिक्षा को प्रशिक्षुता के साथ जोड़ दिया जाता है।
- उच्च शिक्षा का मार्ग: भारत में VET से उच्च शिक्षा की ओर कोई स्पष्ट मार्ग निर्धारित नहीं है। सिंगापुर जैसे देशों में दोहरी प्रणाली है, जहाँ व्यावसायिक शिक्षा से उच्च शिक्षा की ओर सहज रूपांतरण संभव है।
- धारणा और गुणवत्ता:
- भारत के कई VET पाठ्यक्रम उद्योग की ज़रूरतों के अनुरूप नहीं हैं।
- लगभग एक-तिहाई ITI प्रशिक्षक पद खाली हैं और निगरानी व्यवस्था भी कमज़ोर है।
- सिंगापुर जैसे देशों में, उद्योग-आधारित पाठ्यक्रम डिजाइन और नियमित फीडबैक प्रणाली से प्रशिक्षण की गुणवत्ता लगातार बेहतर की जाती है।
भारत में VET में सुधार के लिए सिफारिशें
- प्रारंभिक शिक्षा में VET को शामिल करना: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के अनुसार VET को प्रारंभिक स्कूली शिक्षा से ही जोड़ा जाए।
- राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क को लागू करना: राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त स्पष्ट मार्ग स्थापित करने के लिए त्वरित सुधार करना।
- पाठ्यक्रमों को उद्योग की आवश्यकताओं के साथ संरेखित करना:
- नियमित रूप से बाजार मूल्यांकन करना।
- राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (NSTIs) का विस्तार करना और क्षमता अंतराल को दूर करने के लिए प्रशिक्षकों की भर्ती करना।
- प्रशिक्षुओं की प्रतिक्रिया को शामिल करके ITI ग्रेडिंग को मजबूत बनाना।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी: उद्योग की प्रासंगिकता के लिए सार्वजनिक अवसंरचना और निजी विशेषज्ञता का लाभ उठाएं, इसमें MSMEs को भी शामिल करना।
- सार्वजनिक व्यय में वृद्धि: जहाँ जर्मनी और सिंगापुर जैसे देश शिक्षा व्यय का 10-13% व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (VET) के लिए आवंटित करते हैं, वहीं भारत वर्तमान में केवल 3% आवंटित करता है।
हाल ही में सरकारी द्वारा शुरू की गई पहलें
- रोजगार संबद्ध प्रोत्साहन (ELI) योजना:
- भाग A: पहली बार EPFO पंजीकृत श्रमिकों को ₹15,000 तक का लाभ।
- भाग B: प्रत्येक नए कर्मचारी के लिए 3,000 रुपये प्रति माह सहायता प्रदान करता है।
- नोट: इन योजनाओं में कौशल विकास के घटक की कमी है।
- प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना: यह शीर्ष कंपनियों में एक वर्ष का प्लेसमेंट प्रदान करती है, लेकिन इसमें स्थायी रोजगार तक पहुँच का मार्ग स्पष्ट नहीं है।
- ITI उन्नयन पहल: उद्योग के साथ साझेदारी में सरकारी ITI के आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है, लेकिन यह आवश्यक नहीं कि यह प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बढ़ाए।
निष्कर्षतः, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (VET) को रोज़गार का एक व्यवहार्य मार्ग बनाने और एक समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में योगदान देने के लिए महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता हैं। यह सुधार इसलिए ज़रूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नीतिगत पहल महज़ एक विचार न होकर, बल्कि कार्यबल के लिए परिवर्तनकारी कदम हों।