बादल फटना
बादल फटना एक औचक और तीव्र वर्षा की घटना है, जो थोड़े समय में ही मौसम की स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से बदल देती है। सामान्य मानसूनी वर्षा स्थिर और व्यापक होती है। इसके विपरीत, बादल फटना स्थानीयकृत होता है और बड़ी मात्रा में पानी वाले छोटे क्षेत्रों को प्रभावित करता है।
परिभाषाएँ और मानदंड
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD): IMD एक घंटे में लगभग 20-30 वर्ग किमी क्षेत्र में100 मिमी से अधिक वर्षा को बादल फटने के रूप में परिभाषित करता है।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO): इसे 100 मिमी प्रति घंटे या उससे अधिक की दर से होने वाली वर्षा के रूप में परिभाषित करता है। यह स्वीडिश शब्द ‘स्काईफॉल’ को संदर्भित करता है। इसका अर्थ है 1 मिमी प्रति मिनट, जो अल्प अवधि के लिए 60 मिमी प्रति घंटे या लंबे समय तक 50 मिमी प्रति घंटे के बराबर होता है।
बादल फटने के कारक
- यह तब होता है जब तूफानों में तेज हवाएं ऊपर की ओर उठती हैं और वायुमंडल में पानी की बड़ी मात्रा ऊपर उठ जाती है।
- जब ये ऊपर की ओर बहने वाली हवाएं नीचे आती हैं, तो पानी अचानक बाहर निकल जाता है, जिसके परिणामस्वरूप तीव्र वर्षा होती है।
- पर्वतीय उत्थान: नम हवा पहाड़ों द्वारा ऊपर की ओर धकेली जाती है, जिससे तेजी से संघनन होता है और भारी वर्षा होती है।
निहितार्थ और प्रभाव
- सभी परिभाषाएं इस बात पर सहमत हैं कि बादल फटने की घटनाएं तीव्र, अल्पकालिक होती हैं तथा विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में, अचानक बाढ़ और भूस्खलन जैसी गंभीर क्षति का कारण बन सकती हैं।
- विस्फोट के बाद पानी के प्रवाह की दिशा के आधार पर प्रभावित क्षेत्र बड़ा हो सकता है।