एकमुश्त निपटान (OTS) योजनाओं पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला
सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि कोई भी चूककर्ता उधारकर्ता बैंकों द्वारा निर्धारित सभी विशिष्ट शर्तों को पूरा किए बिना एकमुश्त निपटान (OTS) योजना का लाभ नहीं ले सकता।
प्रमुख निर्णय
- यह फैसला न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अगुवाई वाली पीठ ने सुनाया, जिसने 2022 के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया। इसमें भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को तान्या एनर्जी एंटरप्राइजेज के OTS प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया गया था।
- न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी न्यायालय किसी सुरक्षित ऋणदाता (जैसे- बैंक) को पात्रता मानदंडों की संतुष्टि के बिना चूककर्ता उधारकर्ताओं को OTS लाभ प्रदान करने का आदेश नहीं दे सकता।
- एसबीआई की 2020 OTS योजना के खंड 2.1 के तहत "पात्र नहीं" के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया उधारकर्ता स्वचालित रूप से ऋण निपटान के लिए योग्य नहीं है।
- उधारकर्ता को अपने OTS आवेदन पर विचार करने के लिए अग्रिम भुगतान सहित सभी निर्धारित शर्तों को पूरा करना होगा।
केस विवरण: तान्या एनर्जी एंटरप्राइजेज
- तान्या एनर्जी ने सात संपत्तियों को गिरवी रखकर SBI से ऋण लिया, लेकिन भुगतान में चूक कर दी।
- कंपनी ने 2020 योजना के तहत एकमुश्त निपटान के लिए आवेदन किया था, लेकिन 5% अग्रिम भुगतान करने में विफल रही, जिससे आवेदन अयोग्य हो गया।
- SBI की अपील स्वीकार कर ली गई तथा न्यायालय ने कंपनी के आचरण को निष्पक्ष विचार में बाधा माना।
- सर्वोच्च न्यायालय ने SBI को कानून के अनुसार सुरक्षा हित लागू करने की अनुमति दी और तान्या एनर्जी को एक नया OTS प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति दी, लेकिन 2020 योजना के तहत नहीं।