समुद्री महत्वाकांक्षाएँ: नई नीति से क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है | Current Affairs | Vision IAS

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समुद्री महत्वाकांक्षाएँ: नई नीति से क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है

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केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा जहाज निर्माण पैकेज को मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के जहाज निर्माण और समुद्री क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ₹69,725 करोड़ के एक बड़े पैकेज को मंज़ूरी दी है। यह पहल चार प्रमुख स्तंभों पर आधारित है:

  • घरेलू समुद्री क्षमता को मजबूत करना
  • दीर्घकालिक वित्तपोषण को सक्षम बनाना
  • शिपयार्ड का विकास 
  • मानव पूंजी का निर्माण

महत्व और रणनीतिक लाभ 

भारत की भौगोलिक स्थिति इसे व्यापार और रसद के लिए एक संभावित केंद्र के रूप में स्थापित करती है, जहाँ इसका 95% विदेशी व्यापार समुद्री मार्गों से होकर गुजरता है। फिर भी, खंडित नीतियों और उच्च लागत के कारण भारत का जहाज निर्माण उद्योग वैश्विक अग्रणी देशों से पिछड़ गया है। 

नए पैकेज का एकीकृत दृष्टिकोण 

  • 24,736 करोड़ रुपये की निधि के साथ जहाज निर्माण वित्तीय सहायता योजना का 2036 तक विस्तार। 
  • 4,001 करोड़ रुपये मूल्य के शिपब्रेकिंग क्रेडिट नोट की शुरूआत। 
  • निरंतरता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन का शुभारंभ।
  • 25,000 करोड़ रुपये की निधि के साथ समुद्री विकास निधि का निर्माण, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
    • समुद्री निवेश कोष 
    • ब्याज प्रोत्साहन निधि 
  • दीर्घकालिक, कम लागत वाले वित्तपोषण तक पहुंच को सक्षम करने के लिए बड़े वाणिज्यिक जहाजों को बुनियादी ढांचे का दर्जा प्रदान करना। 

कौशल और पर्यावरण मानकों पर ध्यान केंद्रित करना 

पैकेज में आधुनिक जहाज निर्माण की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कौशल विकास पर ज़ोर दिया गया है, जिसमें सटीक इंजीनियरिंग और ऊर्जा दक्षता व उत्सर्जन में कमी के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के नियमों का पालन शामिल है। वैश्विक बेड़े की कार्य अवधि और पर्यावरणीय मानदंड कड़े होते जा रहे हैं, जिससे हरित और स्मार्ट जहाजों की ज़रूरत बढ़ रही है। 

चुनौतियाँ और अवसर

भारतीय शिपयार्डों को लागत में वृद्धि और नीतिगत असंगति जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सफल कार्यान्वयन के लिए निम्नलिखित आवश्यक है: 

  • प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन 
  • स्पष्ट मानदंडों के साथ आधुनिकीकरण 
  • पारदर्शी वित्तपोषण चैनल 
  • वैश्विक आदेश प्राप्त करने और प्रौद्योगिकी साझेदारी बनाने में निजी क्षेत्र की भागीदारी 

बंदरगाहों पर लॉजिस्टिक्स संबंधी बाधाओं को कम करने जैसे पूरक उपाय बेहद ज़रूरी हैं। अगर यह पैकेज कारगर रहा, तो इससे जहाज निर्माण क्षमता बढ़ सकती है, लगभग 30 लाख नौकरियाँ पैदा हो सकती हैं और लगभग 4.5 ट्रिलियन रुपये का निवेश आकर्षित हो सकता है। आर्थिक दृष्टि से तो यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और भू-राजनीतिक लचीलेपन को मज़बूत करता है।

  • Tags :
  • Maritime Sector
  • Shipbuilding Package
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