सुर्खियों में क्यों?
भारत स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रक में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग की निगरानी को मजबूत करने के लिए हेल्थ AI ग्लोबल रेगुलेटरी नेटवर्क (GRN) में शामिल हो गया है।
अन्य संबंधित तथ्य
- हेल्थ AI (HealthAI) जिनेवा में स्थित एक स्वतंत्र, गैर-लाभकारी संगठन है। इसका लक्ष्य विनियामक प्रणालियों और वैश्विक मानदंडों के संयुक्त कार्यान्वयन द्वारा स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रक में उत्तरदायी AI समाधानों के विकास एवं उन्हें अपनाने को प्रोत्साहित करना है।
- GRN के सदस्यों को 'ग्लोबल पब्लिक रिपॉजिटरी ऑफ AI-रिलेटेड रजिस्टर्ड सॉल्यूशंस फॉर हेल्थ' तक विशेष पहुंच प्राप्त होती है। इसमें भाग लेने वाले विनियामक प्राधिकरण अपने देशों से AI-संबंधित पंजीकृत समाधानों का प्रदर्शन कर सकते हैं।
- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद - राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य और डेटा विज्ञान अनुसंधान संस्थान (Indian Council of Medical Research -National Institute for Research in Digital Health and Data Science: ICMR-NIRDHDS) और इंडिया AI, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर जैसे अन्य GRN सदस्यों के साथ हेल्थ AI को सहयोग प्रदान करेंगे।
- यह कदम इंडिया AI रणनीति के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य एक व्यापक और समावेशी AI इकोसिस्टम का निर्माण करना है।
- इंडिया AI, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अधीन डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन के माध्यम से संचालित होता है। इसका उद्देश्य भारत को AI संबंधी नवाचार और विकास में अग्रणी बनाना है।
स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रक में AI के उपयोग की निगरानी को मजबूत करने की आवश्यकता क्यों है?
- रोगी सुरक्षा और जोखिम को कम करना: स्वास्थ्य देखभाल में AI का उपयोग निदान और उपचार को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। इसलिए इससे संबंधित सुरक्षा सुनिश्चित करने, जोखिमों को कम करने और किसी भी प्रकार की क्षति को रोकने के लिए विनियमन अनिवार्य है।
- डेटा की निजता एवं सुरक्षा: स्वास्थ्य देखभाल में प्रयुक्त AI रोगी से जुड़े संवेदनशील डेटा का उपयोग करता है। इसलिए निजता की रक्षा और डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विनियमन महत्वपूर्ण हो जाता है। भारत के ICMR नैतिक दिशा-निर्देश विभिन्न चरणों में रोगी के स्वास्थ्य संबंधी डेटा की सुरक्षा पर ज़ोर देते हैं।
- नैतिक उपयोग और निष्पक्षता: AI को जिस डेटा पर प्रशिक्षित किया जाता है उसके आधार पर AI पूर्वाग्रह भी प्रदर्शित कर सकता है, जिससे भेदभाव की आशंका बनी रहती है। इसलिए AI टूल्स से संबंधित निष्पक्षता, गैर-भेदभावपूर्ण व्यवहार तथा नैतिक कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु विनियमन अनिवार्य है।
- पारदर्शिता तथा जवाबदेही: कई AI प्रणालियाँ "ब्लैक बॉक्स" की तरह कार्य करती हैं, अर्थात निर्णय तो प्रदान करती हैं, लेकिन यह स्पष्ट होता कि वे उस निर्णय तक कैसे पहुँची हैं। इसलिए विनियामक यह मांग कर सकते हैं कि AI टूल्स निर्माता बताएं कि उनका AI निर्णय कैसे लेता है।
- दायित्व का निर्धारण: AI-आधारित स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के उपयोग से यह सवाल उठता है कि अगर AI की वजह से कोई मेडिकल गलती या नुकसान होता है, तो जिम्मेदारी किसकी होगी।
स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रक में AI का उपयोग
रोगों का पता लगाने में AI का उपयोग | अस्पताल और क्लिनिकल व्यवस्था में AI का उपयोग | स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन में AI का उपयोग |
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स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रक में AI के एकीकरण से संबंधित चुनौतियाँ
प्रौद्योगिकी संबंधी चुनौतियां
- इंटरऑपरेबिलिटी एवं मानकीकरण: विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल प्रौद्योगिकियों और मानकीकरण की कमी के कारण AI का एकीकरण चुनौतीपूर्ण हो जाता है एवं डेटा तक अनधिकृत पहुँच का जोखिम को बढ़ा जाता है।
- एल्गोरिथम आधारित पूर्वाग्रह (Algorithmic Bias): उदाहरण के लिए एक प्रिडिक्टिव मॉडल ने स्वास्थ्य देखभाल संबंधी जरूरतों को मापने के लिए स्वास्थ्य की स्थिति की जगह 'लागत' को एक प्रतिनिधि कारक (proxy) के रूप में इस्तेमाल किया। ऐतिहासिक रूप से अश्वेत मरीजों को कम स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं मिली हैं (यानी, उनकी स्वास्थ्य देखभाल पर कम खर्च हुआ है), इसलिए एल्गोरिदम ने गलती से यह मान लिया कि उन्हें कम स्वास्थ्य देखभाल की ज़रूरत है, जबकि उनकी वास्तविक स्वास्थ्य देखभाल ज़रूरतें अधिक थी।
नैतिक चुनौतियां
- न्याय और निष्पक्षता: AI को स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक समान पहुँच सुनिश्चित करनी चाहिए और निष्पक्ष निर्णय देने चाहिए, ताकि स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं सेवा की उपलब्धता में असमानता और न बढ़े।
- रोगी की सहमति एवं निजता: AI को सहमति और संरक्षण संबंधी मजबूत प्रणालियों के साथ स्वास्थ्य संबंधी संवेदनशील आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
- भ्रामक सूचना एवं अमानवीकरण: AI की त्रुटियाँ या इस पर अत्यधिक निर्भरता गलत जानकारी फैला सकती है और डॉक्टर तथा मरीज़ के बीच सार्थक बातचीत (मानवीय जुड़ाव) को कम कर सकती है।
समावेशिता एवं पहुँच से जुड़ी चुनौतियां
- प्रतिनिधित्व संबंधी पूर्वाग्रह: यह तब होता है जब AI मॉडल को शहरी, धनी, या समृद्ध समूहों के से संबंधित डेटा पर प्रशिक्षित किया जाता हैं, जिसके कारण ग्रामीण, स्वदेशी, या वंचित समूहों के डेटा की अनदेखी हो जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि AI उन वंचित समूहों के लिए ठीक से काम नहीं कर पाता है।
- प्रतिरोध एवं विश्वास की कमी: स्वास्थ्य देखभाल सेवा से जुड़े पेशेवर, AI की सीमित समझ, रोजगार खोने की आशंका या इसकी विश्वसनीयता पर संदेह के कारण इसे अपनाने में संकोच कर सकते हैं।
इससे सम्बंधित वैश्विक नवाचार जिनसे भारत सीख सकता है
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स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रक में AI के उपयोग हेतु WHO के मार्गदर्शक सिद्धांत
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भारत में स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रक में AI के एकीकरण हेतु सिफारिशें
- आंकड़ों की विविधता बढ़ाना तथा पूर्वाग्रह घटाना: AI मॉडलों को विविध सामाजिक-आर्थिक, भौगोलिक और जनसांख्यिकीय डेटासेट पर प्रशिक्षित करके उनकी सटीकता को बढ़ाया जा सकता है एवं पूर्वाग्रह को कम किया जा सकता है।
- शहरी-ग्रामीण अंतर को समाप्त करना: AI-आधारित टेलीमेडिसिन शहर में मौजूद चिकित्सकों को ग्रामीण समुदायों से जोड़कर स्वास्थ्य देखभाल सेवा की समान पहुंच का विस्तार कर सकती है।
- रेगुलेटरी सैंडबॉक्स दृष्टिकोण अपनाना: संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जापान और इंडोनेशिया जैसे देश विनियामकीय (रेगुलेटरी) नवाचार को बढ़ावा देने और AI-संचालित डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों का मूल्यांकन करने के लिए सैंडबॉक्स का उपयोग करते हैं।
- AI प्रौद्योगिकी में 'ह्यूमन-इन-द-लूप' मॉडल का उपयोग करना: यह AI मॉडल आधारित सिस्टम के प्रदर्शन और कार्यों का मनुष्यों द्वारा निरीक्षण को संभव करता है।
निष्कर्ष
निःसन्देश AI में निदान, उपचार और स्वास्थ्य देखभाल सेवा की पहुँच में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की अपार क्षमता है, किंतु सुरक्षा, पूर्वाग्रह, निजता और समावेशिता से जुड़ी चुनौतियों के समाधान हेतु इसका विनियमन भी अनिवार्य है। अतः नवाचार, क्षमता निर्माण, नैतिक शासन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के मामले में मिलकर जाने वाले प्रयास, भारत को व्यापक पैमाने पर बेहतर स्वास्थ्य देखभाल परिणाम प्राप्त करने के लिए AI का उपयोग करने में सक्षम बनाएंगे।