राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क का शुभारंभ
27 अगस्त, 2025 को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारत के पहले राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क के शुभारंभ की घोषणा की। इस पहल का उद्देश्य बायोटेक्नोलॉजी को देश की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार क्षेत्र का प्रमुख प्रेरक बनाना है।
राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क के उद्देश्य
- इसमें प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट विकास को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाने के लिए छह संस्थान शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य स्वदेशी बायोमैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ावा देना।
- बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में नए रोजगार अवसर सृजित करना।
भारत की बायोइकोनॉमी का विकास
- मंत्रालय ने भारत की बायोइकोनॉमी में उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डाला। यह क्षेत्र 2014 में 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 तक 165.7 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है और 2030 तक 300 अरब डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
युवाओं के लिए BioE3 चैलेंज
इस पहल के अंतर्गत युवाओं को सुरक्षित और सतत बायोटेक्नोलॉजी नवाचारों के लिए अपने विचार प्रस्तुत करने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है।
BioE3 नीति
- यह नीति केवल अनुसंधान और नवाचार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें रोज़गार, स्टार्ट-अप्स और सतत विकास को भी शामिल किया गया है।
- इसका उद्देश्य स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा और पर्यावरण पर प्रभाव डालने वाला बायोमैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम स्थापित करना है।
प्रतिभा और कौशल विकास पर जोर
मंत्रालय ने इस बात पर बल दिया कि कुशल मानव संसाधन बायोटेक्नोलॉजी के प्रसार में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस दिशा में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) लगातार एक मजबूत कुशल पेशेवरों का इकोसिस्टम विकसित करने के प्रयास कर रहा है।
केंद्र-राज्य भागीदारी
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने विभिन्न राज्यों के साथ साझेदारी की पहल की है। इसी क्रम में असम सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसके तहत BioE3 सेल की स्थापना की जाएगी।
वैश्विक सहयोग
भारत के 52 देशों में स्थित मिशनों ने BioE3 नीति पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। इसके साथ ही, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और विदेश मंत्रालय के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न फॉलो-अप कार्रवाइयाँ की जा रही हैं।