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अमेरिकी टैरिफ लागू: अमेरिकी बाजार पर भारत की अत्यधिक निर्भरता को कम करने के लिए नीतिगत गुंजाइश की पेशकश, बहुपक्षीय व्यापार समझौते के विकल्प की तलाश, सुधारों को आगे बढ़ाना | Current Affairs | Vision IAS

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अमेरिकी टैरिफ लागू: अमेरिकी बाजार पर भारत की अत्यधिक निर्भरता को कम करने के लिए नीतिगत गुंजाइश की पेशकश, बहुपक्षीय व्यापार समझौते के विकल्प की तलाश, सुधारों को आगे बढ़ाना

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भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव

हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50% का भारी टैरिफ लगाए जाने से भारत की व्यापार नीतियों को प्रभावित करने वाले कई दीर्घकालिक मुद्दों पर गंभीर चर्चा शुरू हो गई है। 

प्रमुख मुद्दे और विचार 

  • अमेरिकी बाजार पर निर्भरता: निर्यात गंतव्य के रूप में अमेरिका पर भारत की भारी निर्भरता बहस का एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई है।
    • अमेरिका लगातार चार वर्षों से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है।
    • 2024-25 में, भारत का अमेरिका के साथ 45 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष था, जो अन्य देशों, विशेष रूप से चीन के साथ घाटे की भरपाई करने में मदद करता है। 
  • बहुपक्षीय सौदों की खोज: अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए भारत द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौतों पर विचार कर रहा है। 
    • ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौता (CPTPP) एक संभावित विकल्प है, खासकर इसलिए क्योंकि ब्रिटेन इसमें शामिल हो गया है और यूरोपीय संघ ने भी आवेदन किया है। 
    • जापान, ऑस्ट्रेलिया और आसियान जैसे प्रमुख सदस्य भारत को शामिल करने के समर्थक हैं।
  • अमेरिकी व्यापार घाटे के दावों पर ध्यान देना: भारत के साथ व्यापार घाटे के अमेरिका के दावों के बावजूद, डिजिटल सेवाओं, वित्तीय गतिविधियों आदि से प्राप्त राजस्व को देखते हुए अमेरिका के पास 40 बिलियन डॉलर का अधिशेष है।
    • विश्लेषकों का सुझाव है कि व्यापार वार्ता में भारत के रुख को मजबूत करने के लिए इन आंकड़ों का उपयोग किया जाना चाहिए।

चुनौतियाँ और रणनीतिक बदलाव 

  • चुनौतियाँ:
    • भारतीय निर्यात क्षेत्र की अमेरिकी बाजार पर अत्यधिक निर्भरता उजागर हो गई है, ठीक उसी तरह जैसे अतीत में यूरोप की अमेरिकी रक्षा पर अत्यधिक निर्भरता थी। 
    • परिधान, वस्त्र और आभूषण जैसे प्रमुख क्षेत्र उच्च टैरिफ के कारण अव्यवहार्य हो सकते हैं, जिससे कम कुशल भारतीय नौकरियां प्रभावित होंगी। 
  • संभावित रणनीतिक बदलाव:
    • भारतीय रेलवे जैसी प्रमुख संस्थाओं द्वारा घरेलू खरीद को प्रोत्साहित करने से निर्यात घाटे की भरपाई की जा सकती है।
    • अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया में नए बाजारों में विविधीकरण की खोज करना।

निष्कर्ष

यह टैरिफ गतिरोध भारत के लिए अपनी व्यापार रणनीतियों पर पुनर्विचार करने, अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करने तथा बहुपक्षीय साझेदारियों और नए बाजार अवसरों की खोज करने के लिए एक चुनौती और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है।

  • Tags :
  • CPTPP
  • US Tariffs
  • Exports
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