सितंबर 2025 के लिए IMD पूर्वानुमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सितंबर 2025 के लिए सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान लगाया है तथा मासिक औसत वर्षा 167.9 मिमी के दीर्घकालिक औसत के 109% से अधिक होने की भविष्यवाणी की है।
- अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।
- पूर्वोत्तर और पूर्व के कुछ क्षेत्रों, सुदूर दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ भागों तथा उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ भागों में सामान्य से कम वर्षा हो सकती है।
भारी वर्षा के संभावित प्रभाव
- भूस्खलन और फ़्लैश फ्लड: भारी वर्षा से भूस्खलन और फ़्लैश फ्लड (विशेष रूप से उत्तराखंड में) आ सकती है, जिससे दक्षिण हरियाणा, दिल्ली और उत्तरी राजस्थान में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है।
- उत्तराखंड से निकलने वाली नदियों में बाढ़ के कारण निचले इलाकों के लिए चिंताएं हैं।
- छत्तीसगढ़ में महानदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा होने की संभावना है।
अगस्त 2025 में मानसून की बारिश
उत्तर-पश्चिम भारत
उत्तर-पश्चिम भारत में अगस्त माह में 265 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो 2001 के बाद से इस माह की सर्वाधिक तथा 1901 के बाद से 13वीं सर्वाधिक वर्षा है।
- मानसून ऋतु के सभी तीन महीनों में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई:
- जून: 111 मिमी, सामान्य से 42% अधिक।
- जुलाई: 237.4 मिमी, सामान्य से 13% अधिक।
- अगस्त: सामान्य 197.1 मिमी के मुकाबले 265 मिमी, 34.5% अधिक।
- 1 जून से 31 अगस्त तक संचयी वर्षा: 614.2 मिमी, जो सामान्य 484.9 मिमी से 27% अधिक है।
अत्यधिक वर्षा से जुड़ी प्राकृतिक आपदाएँ
- पंजाब ने दशकों में भयावह बाढ़ का सामना किया, जिसमें नदियां उफान पर थीं और नहरें टूट गई। इससे कृषि भूमि जलमग्न हो गई और लाखों लोग विस्थापित हो गए।
- हिमालयी राज्यों में बादल फटने और फ़्लैश फ्लड की घटनाएं हुईं, जिससे भूस्खलन हुआ और व्यापक क्षति हुई।
- हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है, जिसमें पुल और सड़कें बह गई हैं।
- जम्मू और कश्मीर में बार-बार बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं हुईं।
दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत
अगस्त माह में दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में 250.6 मिमी वर्षा हुई, जो सामान्य से 31% अधिक है। यह 2001 के बाद से इस माह के लिए तीसरी सर्वाधिक तथा 1901 के बाद से आठवीं सर्वाधिक वर्षा है।