भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) 2.0
सरकार भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के दूसरे संस्करण के तहत सिलिकॉन कार्बाइड (ISM) आधारित वेफर विनिर्माण को प्राथमिकता दे रही है।
रणनीतिक प्राथमिकता
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय SiC वेफर्स पर ध्यान केंद्रित करते हुए ISM 2.0 की रूपरेखा को अंतिम रूप दे रहा है।
- SiC वेफर्स को उच्च वोल्टेज, तापमान और आवृत्तियों पर उनके संचालन के कारण प्राथमिकता दी जाती है।
पृष्ठभूमि
- ISM के पहले चरण का वित्तीय परिव्यय 76,000 करोड़ रुपये था, जिसमें से अब तक 10 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
- पहले चरण की धनराशि लगभग समाप्त हो चुकी है।
SiC वेफर्स के उपयोग
- दूरसंचार, इलेक्ट्रिक वाहन, रक्षा, एयरोस्पेस और औद्योगिक क्षेत्रों में अगली पीढ़ी के रूप में उपयोग।
- विद्युत इलेक्ट्रॉनिक्स में महत्वपूर्ण भूमिका, जिसमें ठोस-अवस्था अर्धचालक उपकरणों का उपयोग करके विद्युत शक्ति का ऊर्जा-कुशल रूपांतरण और नियंत्रण शामिल है।
- प्रमुख उपयोग में औद्योगिक मोटर ड्राइव, नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियां तथा लैपटॉप और मोबाइल फोन जैसे कम बिजली वाले उपकरण शामिल हैं।
वर्तमान घटनाक्रम
- स्कॉटलैंड स्थित क्लास-SiC वेफर फैब के सहयोग से चेन्नई में SiC वेफर्स के लिए पहली निर्माण इकाई को मंजूरी दी गई।
- भुवनेश्वर में 2,066 करोड़ रुपये के निवेश से यह सुविधा स्थापित की जाएगी तथा इसकी वार्षिक क्षमता 60,000 वेफर्स होगी।
- गुजरात के धोलेरा में टाटा समूह की 91,000 करोड़ रुपये की सुविधा का लक्ष्य सिलिकॉन वेफर्स का निर्माण करना है।
चुनौतियाँ और उद्योग के अनुरोध
- घरेलू सेमीकंडक्टर कंपनियां भारत में SiC विनिर्माण स्थापित करने के लिए सरकार से अधिक सहयोग चाहती हैं।
- उदाहरण के लिए: ज़ोहो समूह के स्वामित्व वाली सिलेक्ट्रिक सेमीकंडक्टर ने सरकारी समर्थन की आवश्यकता का हवाला देते हुए कर्नाटक में SiC परिसर की अपनी योजना स्थगित कर दी।