मानसून और कृषि पर प्रभाव
भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून अनुकूल रहा और जून-अगस्त के दौरान कुल वर्षा औसत से 6.1% अधिक रही। मानसून का वितरण सुचारु रहा और बिहार, असम एवं मेघालय तथा अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर, 36 मौसम उपखंडों में से 33 में सामान्य वर्षा हुई।
खरीफ फसल की बुवाई
- समय पर मानसून आने के कारण किसानों ने खरीफ फसलों के अंतर्गत अधिक क्षेत्र में बुवाई की।
- चावल की बुवाई पिछले वर्ष की तुलना में 7.6% बढ़कर 420.4 लाख हेक्टेयर हो गई।
- मक्का का क्षेत्रफल 11.7% बढ़कर 83.6 लाख हेक्टेयर से 93.3 लाख हेक्टेयर हो गया।
उर्वरक की मांग और आपूर्ति
अच्छे मानसून के कारण उर्वरक की मांग में वृद्धि हुई, जिससे अप्रैल-जुलाई 2025 के दौरान बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
- यूरिया, सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP), म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) और जटिल उर्वरकों की बिक्री में दोहरे अंकों में वृद्धि।
- एसएसपी और अन्य के साथ प्रतिस्थापन के कारण डायमोनियम फॉस्फेट (DAP) की बिक्री में 12.8% की उल्लेखनीय गिरावट आई।
उर्वरक उत्पादन और आयात
- अप्रैल-जुलाई 2025 के दौरान यूरिया का घरेलू उत्पादन 102.1 लीटर से घटकर 93.6 लीटर हो गया।
- DAP उत्पादन 13.7 लीटर पर स्थिर रहा, जबकि NPKS कॉम्प्लेक्स और SSP का उत्पादन बढ़ा।
- यूरिया और DAP के आयात में कमी के कारण स्टॉक में कमी आई।
उर्वरक उपयोग के लिए सिफारिशें
- यूरिया के स्थान पर अमोनियम सल्फेट का प्रयोग बढ़ावा देना, जिसमें 20.5% नाइट्रोजन तथा 23% सल्फर होता है।
- DAP का उपयोग केवल धान और गेहूं तक सीमित रखना तथा अन्य फसलों के लिए भी इसके उपयोग को प्रोत्साहित करना।