प्रस्तावित राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण (NIC) फ्रेमवर्क संशोधन का अवलोकन
भारत में NIC फ्रेमवर्क में 2008 के बाद पहली बार महत्वपूर्ण संशोधन किया जा रहा है, ताकि समकालीन आर्थिक गतिविधियों को प्रतिबिंबित किया जा सके और इसे संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय मानक औद्योगिक वर्गीकरण (ISIC) के अनुरूप बनाया जा सके।
प्रमुख परिवर्तन और परिवर्धन
- NIC में अब निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल होंगी:
- नाखून सैलून और डेटिंग सेवाएं (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों)।
- सैलून और अस्थायी टैटू कला।
- बैचलर और बैचलरेट पार्टियों का आयोजन करना।
- अश्वगंधा, ईसबगोल और क्रिसमस ट्री जैसी फसलें उगाना।
- टट्टू, गधे और खच्चर जैसे घोड़ों को पालना।
- शराब निर्माण को वोडका, रम, ब्रांडी, जिन और व्हिस्की जैसी श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा।
- आधुनिक तकनीकी सेवाओं का समावेश:
- इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर और सौर प्रणाली की स्थापना।
- ऑनलाइन खाद्य वितरण प्लेटफार्मों का संचालन।
- OTT प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीमिंग सेवाएं।
- डिजिटल ट्यूटोरियल और विशेष परीक्षा तैयारी पाठ्यक्रम।
- साइबर सुरक्षा कार्यक्रमों के साथ-साथ AI और मशीन लर्निंग अनुप्रयोगों का विकास।
निहितार्थ और महत्व
- संशोधित NIC फ्रेमवर्क नए और उभरते उद्योगों को शामिल करके बेहतर आर्थिक विश्लेषण और नीति-निर्माण की सुविधा प्रदान करेगा।
- यह आर्थिक आंकड़ों की अंतर्राष्ट्रीय और अंतर-क्षेत्रीय तुलना को समर्थन प्रदान करेगा।
- कृषि और औद्योगिक गतिविधियों पर अधिक विस्तृत आंकड़े, मुद्रास्फीति-रोधी उपायों जैसे प्रभावी नीतिगत हस्तक्षेप तैयार करने में मदद करेंगे।
विशेषज्ञों की राय और विचार
- पी.सी. मोहनन सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करने के लिए कोड को अद्यतन करने के महत्व पर बल देते हैं।
- आशीष कुमार प्रवृत्ति विश्लेषण की निरंतरता बनाए रखने और गिग वर्क और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसी भविष्योन्मुखी आर्थिक गतिविधियों को शामिल करने के लिए पिछले कोड के साथ सामंजस्य की आवश्यकता पर बल देते हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ
भारत में आर्थिक गतिविधियों का पहला वर्गीकरण 1962 में किया गया था, जिसके बाद 1970, 1987, 1998, 2004 और 2008 में इसमें संशोधन किया गया।