एकीकृत पेंशन योजना (UPS) और सरकारी पहलें
एकीकृत पेंशन योजना (UPS) केंद्र सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की पेंशन प्रणाली में सुधार लाना है। इसके संभावित लाभों के बावजूद, इसका उपयोग सीमित रहा है, जिससे सरकार जागरूकता बढ़ाने और योजना के आकर्षण को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही है।
वर्तमान नामांकन स्थिति
- 23 लाख से अधिक पात्र केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों में से अब तक केवल 35,000 ने ही UPS का विकल्प चुना है।
सरकारी रणनीति और आउटरीच
- सरकार ने कर्मचारियों के लिए UPS में शामिल होने की अंतिम तिथि 30 सितंबर निर्धारित की है।
- UPS के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक अभियान शुरू किया जा रहा है, जिसमें इसके बढ़े हुए लाभों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- 28 से अधिक सेवाओं के 23 लाख से अधिक कर्मचारियों को सूचित करने के लिए सभी मंत्रालयों और विभागों को पत्र भेजे जाएंगे।
- उच्च VRS दरों के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों, दूरस्थ स्थानों और अर्धसैनिक बलों के कर्मियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- रेलवे, दूरसंचार और डाक सेवाओं के कर्मियों के लिए भी प्रयास किए जाएंगे।
प्रमुख चिंताएँ और अनुकूलन
- वित्तीय सुरक्षा, सेवा आवश्यकताओं और पारिवारिक परिभाषाओं पर चिंताओं के कारण प्रारंभिक प्रतिक्रिया ठंडी रही।
- कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति को इन मुद्दों का समाधान करने का कार्य सौंपा गया।
- सिफारिशों में एक हाइब्रिड UPS प्रारूप शामिल है जो बाजार से जुड़े NPS और गारंटीकृत पेंशन को संतुलित करता है।
UPS नियम पुस्तिका में हालिया संशोधन
- अब पूर्ण पेंशन लाभ 20 वर्ष की सेवा के बाद उपलब्ध होगा, जो कि प्रारम्भ में प्रस्तावित 25 वर्ष से कम है।
- रोजगार के दौरान विकलांगता या मृत्यु की स्थिति में कर्मचारी परिवारों के लिए बेहतर वित्तीय सुरक्षा।