नीलगिरी में चाय उद्योग संकट
2000 के दशक की शुरुआत में नीलगिरी के चाय उत्पादकों के लिए भारी मंदी आई, जिसका मुख्य कारण ग्रीन टी लीव्स (GTL) की गिरती कीमतें थीं। इस संकट के कारण बागान किसानों, खासकर बडागास ने सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन किया।
प्रमुख मुद्दे और ऐतिहासिक संदर्भ
- GTL की कीमतों में गिरावट के कारण हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसका मुख्य कारण 1999 में ऊटी पुष्प प्रदर्शनी का रद्द होना था।
- उद्योग की चुनौतियों पर विचार करने के लिए 2000 में "नीलगिरी में चाय का भविष्य" सेमिनार का आयोजन किया गया था।
- संकट में योगदान देने वाले कारक निम्नलिखित हैं:
- रूसी निर्यात पर अत्यधिक निर्भरता।
- खराब गुणवत्ता प्रबंधन और मिलावट।
- कुन्नूर नीलामी केंद्र में परिचालन बाधित।
आर्थिक और बाजार गतिशीलता
- विशेष रूप से सोवियत संघ के पतन और रूबल के अवमूल्यन के बाद उच्च उत्पादन लागत ने उत्पादकों को परेशान कर दिया।
- फैक्ट्री की अतिरिक्त क्षमता और खराब GTL गुणवत्ता ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।
- खरीदे गए पत्तों के कारखानों ने ब्रांडिंग और प्रत्यक्ष व्यापार में सफलता प्राप्त की है। हालांकि, व्यापक बाजार अन्वेषण की आवश्यकता है।
चाय उद्योग के आँकड़े
- नीलगिरी चाय उद्योग में 46,481 छोटे चाय उत्पादक शामिल हैं, जिनका बागान क्षेत्र 34,408.85 हेक्टेयर है।
मांगें और सिफारिशें
- उत्पादक न्यूनतम GTL मूल्य, आधार नीलामी मूल्य तथा चाय को आवश्यक वस्तु के रूप में मान्यता देने की मांग कर रहे हैं।
- प्रस्तावित रणनीतियों में शामिल हैं:
- तोड़ने और छंटाई में नवाचार और मशीनीकरण।
- मूल्यवर्धित उत्पादों का विकास।
- CIS देशों और अप्रयुक्त घरेलू बाजारों की खोज करना।
वर्तमान रुझान और भविष्य की दिशाएँ
- युवा पीढ़ी आईटी क्षेत्र की ओर बढ़ रही है, जिससे पारंपरिक चाय उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
- INDCOSERVE और TANTEA अपनी महत्वपूर्ण खरीद क्षमताओं के कारण मूल्य अग्रणी बन सकते हैं।
विशेषज्ञ युकेश सरवनन ने नीलगिरी में विश्वस्तरीय चाय उत्पादन की क्षमता पर जोर दिया तथा उत्पादकों के बीच नए सिरे से विश्वास और रणनीतिक कार्रवाई का आग्रह किया।