भारत में चिकित्सा शिक्षा के लिए NMC का दृष्टिकोण
हैदराबाद में भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) के 86वें स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के अध्यक्ष अभिजात शेठ ने अपने मुख्य भाषण में भारत की चिकित्सा शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के महत्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित किया।
प्रमुख चुनौतियाँ और योजनाएँ
- गुणवत्ता और मात्रा सुनिश्चित करना:
- प्राथमिक चुनौती एमबीबीएस सीटों के विस्तार और उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षा मानकों को बनाए रखने के बीच संतुलन बनाना है।
- शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए एमबीबीएस सीटों को 1.23 लाख तक बढ़ाने की योजना पर काम चल रहा है।
- स्नातकोत्तर अवसर:
- स्नातकोत्तर अवसरों में सुधार पर ध्यान केन्द्रित करना ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक स्नातक आगे की शिक्षा प्राप्त कर सके।
- स्नातकोत्तर प्रशिक्षण के लिए संकाय की कमी और विभाजित शिक्षण संसाधनों का समाधान करना महत्वपूर्ण है।
- आदर्श स्नातक से स्नातकोत्तर सीट अनुपात 1:1 है।
परीक्षा और प्रशिक्षण सुधार
- परीक्षा पैटर्न:
- निष्पक्ष मूल्यांकन सुनिश्चित करते हुए अत्यधिक नकारात्मक अंकन को कम करने के लिए परीक्षा पैटर्न में सुधार का आह्वान किया गया।
- योग्यता-आधारित शिक्षा:
- कौशल प्रयोगशालाओं, आभासी प्रशिक्षण, डिजिटल शिक्षा और एआई अनुप्रयोगों के एकीकरण पर जोर दिया गया।
- संचार कौशल, चिकित्सा नैतिकता, सहानुभूति और नैदानिक अनुसंधान मुख्य घटक होंगे।
संस्थागत और नियामक सुधार
- मान्यता को सरल बनाना:
- पुरानी आवश्यकताओं को कम करने और मान्यता प्रक्रियाओं को सरल बनाने की योजना।
- इसका उद्देश्य संस्थानों को शिक्षण और छात्र सहायता पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देना है।
- संतुलित विनियमन:
- चिकित्सा प्रतिभा को पहचानना तथा राष्ट्रीय एवं राज्य निकायों के बीच समन्वय में सुधार करना आवश्यक है।
भविष्य के कार्य और दृष्टि
- एनएमसी के लिए तीन प्रमुख कार्य:
- संख्यात्मक विस्तार को संतुलित तरीके से संबोधित करें।
- शिक्षा और बुनियादी ढांचे में अनावश्यक बाधाओं को कम करना।
- सीखने, पढ़ाने और बुनियादी ढांचे में गुणवत्ता को सुदृढ़ करना।
- संस्थागत समर्थन:
- युवा स्नातक छात्रों के लिए छात्रावास और पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराना प्राथमिकता बनी हुई है।