पंजाब बाढ़: महिलाओं का लचीलापन और योगदान
पंजाब में आई विनाशकारी बाढ़ के बीच, राहत और बचाव कार्यों में महिलाएँ प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। अपने बच्चों के साथ विस्थापित हरमेल कौर उन अनगिनत महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं जो कठिनाइयों का सामना करते हुए भी राहत कार्यों में सक्रिय रूप से योगदान दे रही हैं।
मौजूदा दशाएँ और चुनौतियाँ
- हरमेल कौर और अन्य लोग बुनियादी सुविधाओं के बिना अस्थायी शिविरों में रहती हैं और गुरुद्वारे द्वारा उपलब्ध कराए गए भोजन पर निर्भर हैं।
- विशेषकर स्वच्छता संबंधी सुविधाओं की कमी के कारण महिलाओं को अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
राहत प्रयासों में महिलाओं का योगदान
- दवाइयां पहुंचाने, मोबाइल रसोई स्थापित करने और स्वच्छता बनाए रखने में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- हरपुनीत कौर और उनकी टीम संक्रमण से निपटने और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा सहायता और स्वच्छता अभियान पर ध्यान केंद्रित करती है।
- वे सैनिटरी उत्पादों की आवश्यकता पर जोर देती हैं तथा खराब परिस्थितियों के कारण होने वाली UTIs जैसी समस्याओं पर ध्यान देती हैं।
आँकड़े और प्रभाव
- बाढ़ में 48 लोगों की जान चली गई, 3.54 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए तथा 3.71 लाख एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई।
- 21,000 व्यक्तियों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है।
सामुदायिक पहल
- मानसा के कबड्डी खिलाड़ी पिट्टू कोटरा और गायिका बानी संधू विस्थापित महिलाओं के लिए दवाइयां वितरित करने और कपड़े सिलने जैसी पहल का नेतृत्व कर रहे हैं।
- नरेगा महिला श्रमिक तटबंधों और समुदायों की सुरक्षा के लिए रेत की बोरियां भरने के लिए जुट रही हैं।
समर्थन और सरकारी प्रतिक्रिया
- मोहिंदर कौर जैसी महिलाएं राहत शिविरों का प्रबंधन कर रही हैं तथा प्रभावित व्यक्तियों के लिए भोजन और सुरक्षा सुनिश्चित कर रही हैं।
- स्थानीय लोगों ने नरेगा महिलाओं के प्रयासों को सरकार द्वारा समर्थित कुछ उपायों में से एक बताया।
कुल मिलाकर, बाढ़ प्रभावित पंजाब में महिलाएं न केवल आपदा से उत्पन्न चुनौतियों का सामना कर रही हैं, बल्कि राहत कार्यों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं और उनका नेतृत्व कर रही हैं तथा लचीलापन और सामुदायिक भावना का परिचय दे रही हैं।