विकसित भारत के लिए AI: त्वरित आर्थिक विकास
भारत का लक्ष्य 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप, तीव्र आर्थिक विकास प्राप्त करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को एक प्रमुख चालक के रूप में उपयोग करना है। नीति आयोग और नीति फ्रंटियर टेक हब द्वारा जारी एक रोडमैप में इसकी रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।
आर्थिक विकास की संभावना
- ऐसा अनुमान है कि एआई (AI) को अपनाने से 2035 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद को 6.6 ट्रिलियन डॉलर से 8.3 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने के लिए आवश्यक विकास अंतर (growth gap) का लगभग आधा हिस्सा पूरा किया जा सकेगा।
- 8% की आकांक्षापूर्ण विकास दर प्राप्त करने के लिए, उत्पादकता और नवाचार को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना होगा।
क्षेत्र-विशिष्ट AI परिनियोजन
नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने 8% से अधिक की विकास दर हासिल करने में AI की भूमिका पर प्रकाश डाला तथा बैंकिंग और विनिर्माण जैसे उद्योगों में क्षेत्र-विशिष्ट तैनाती पर जोर दिया।
- दो प्रमुख क्षेत्र:
- उद्योगों में AI को अपनाने में तेजी (30-35% वृद्धि) लाना।
- जनरेटिव AI के साथ अनुसंधान एवं विकास (20-30% योगदान) में व्यापक बदलाव।
क्षेत्रीय प्रभाव
- बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ:
- AI अति-वैयक्तिकृत ग्राहक अनुभव और उन्नत धोखाधड़ी का पता लगाने में सक्षम हो सकता है।
- 2035 तक 50-55 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त मूल्य प्राप्त करने की क्षमता।
- उत्पादन:
- AI उत्पादकता में वृद्धि, पूर्वानुमानित रख-रखाव और बुद्धिमान उत्पाद डिजाइन को बढ़ावा दे सकता है।
- इससे मूल्य में 85-100 बिलियन डॉलर की वृद्धि हो सकती है।
फ्रंटियर इनोवेशन
- फार्मास्यूटिकल्स:
- AI दवा खोज की लागत को 30% तक कम कर सकता है और समयसीमा को 80% तक कम कर सकता है।
- ऑटोमोटिव:
- रोडमैप में 2035 तक स्मार्ट कॉरिडोर द्वारा समर्थित 18-20 मिलियन सॉफ्टवेयर-सहायता प्राप्त वाहनों की परिकल्पना की गई है।
- संभावित निर्यात लाभ और 20-25 बिलियन डॉलर का आयात प्रतिस्थापन।
निष्कर्ष
रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि भारत के सतत 8%+ विकास के मिशन को मजबूत बुनियादी ढांचे, जिम्मेदार शासन और उद्योग-अकादमिक सहयोग द्वारा समर्थित साहसिक AI एकीकरण और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।