खाद्य हानि और बर्बादी के प्रति अंतर्राष्ट्रीय जागरूकता दिवस (IDAFLW)
29 सितम्बर को विश्व खाद्यान्न हानि और बर्बादी के जारी संकट पर प्रकाश डालने के लिए खाद्य हानि और बर्बादी के प्रति अंतर्राष्ट्रीय जागरूकता दिवस मनाता है, जो खाद्य और जलवायु सुरक्षा दोनों के लिए खतरा है।
वैश्विक और भारतीय संदर्भ
- विश्व स्तर पर उत्पादित कुल खाद्यान्न का लगभग एक-तिहाई हिस्सा बर्बाद हो जाता है।
- एक बड़े खाद्य उत्पादक के रूप में भारत को फसल कटाई के बाद भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
- 2022 के नाबार्ड के अध्ययन से पता चलता है कि कृषि में प्रतिवर्ष 1.5 ट्रिलियन रुपये का नुकसान हो रहा है, जो कृषि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3.7% है।
- फलों और सब्जियों को सबसे अधिक नुकसान (10%-15%) होता है, जबकि धान और गेहूं जैसी प्रमुख फसलों की भी काफी बर्बादी होती है।
पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभाव
- भोजन की हानि के परिणामस्वरूप जल, ऊर्जा और श्रम जैसे संसाधन बर्बाद होते हैं।
- इसका प्रभाव किसानों की आय और राष्ट्रीय खाद्य उपलब्धता पर पड़ता है, तथा पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु स्थिरता पर भी असर पड़ता है।
- खाद्यान्न की हानि से भारत में प्रतिवर्ष 33 मिलियन टन से अधिक CO2-समतुल्य उत्सर्जन होता है।
सरकार और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- भारत ने मूल्य-श्रृंखला हानियों की पहचान करने के लिए 50 से अधिक फसलों के लिए राष्ट्रव्यापी कटाई-पश्चात सर्वेक्षण आयोजित किए।
- SDG संकेतक 12.3.1 जवाबदेही को मजबूत करता है और अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखित करता है।
- FAO और NIFTEM द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन में भारत में फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान से होने वाले GHG उत्सर्जन की जांच की गई है।
चुनौतियाँ और समाधान
- भारत में खाद्यान्न की हानि मुख्यतः कमजोर अवसंरचना के कारण हैंडलिंग, प्रसंस्करण और वितरण के दौरान होती है।
- शीत श्रृंखलाओं को मजबूत करना, आधुनिक भंडारण, तथा किफायती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य खाद्य रसद का आधुनिकीकरण करना है।
- एफएओ के फूड लॉस ऐप (FLAPP) जैसे डिजिटल उपकरण और ऐप नुकसान को ट्रैक करने और कम करने में मदद करते हैं।
कार्यवाई के लिए बुलावा
- IDAFLW खाद्यान्न हानि को कम करने के लिए ठोस प्रयासों की याद दिलाता है।
- प्रयासों के लिए सरकार को जलवायु रणनीतियों, व्यापार नवाचार और उपभोक्ता जागरूकता में हानि में कमी को एकीकृत करने की आवश्यकता है।
- सामूहिक कार्रवाई से संसाधनों का संरक्षण और आजीविका की रक्षा की जा सकती है।
- IDAFLW का पालन भोजन को बचाने का आह्वान है, जिससे जलवायु और संसाधनों की सुरक्षा होती है।