भारतीय रेलवे का डीकार्बोनाइजेशन
भारतीय रेलवे राष्ट्रीय लक्ष्य से चार दशक पहले, 2030 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है। यह बदलाव भारत के व्यापक सतत विकास एजेंडे का एक हिस्सा है।
प्रमुख घटनाक्रम
- जुलाई 2025 में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में भारत के पहले हाइड्रोजन-संचालित कोच का सफल परीक्षण।
- पिछले दशक में लगभग 45,000 किलोमीटर ब्रॉड गेज नेटवर्क का विद्युतीकरण किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 98% से अधिक विद्युतीकरण हुआ।
- 553 मेगावाट सौर ऊर्जा, 103 मेगावाट पवन ऊर्जा, तथा 100 मेगावाट हाइब्रिड क्षमता के साथ नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण, कुल 756 मेगावाट।
- 2,000 से अधिक स्टेशन और सेवा भवन सौर ऊर्जा से संचालित हैं तथा कई रेलवे भवन "शून्य" नेट-जीरो लेबल प्राप्त कर रहे हैं।
- "विरासत के लिए हाइड्रोजन" पहल का लक्ष्य 35 हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन इकाइयां तैनात करना है।
समानांतर उपाय
- 2030 तक सड़क से रेल तक माल ढुलाई के मॉडल हिस्से को 45% तक बढ़ाना।
- जैव ईंधन मिश्रणों का परिचय और हरित भवनों का विकास।
- समर्पित माल गलियारों के परिचालन से 30 वर्षों में 457 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन को रोकने की उम्मीद है।
हरित वित्त वास्तुकला
- वित्त वर्ष 2023 से सरकार द्वारा ₹58,000 करोड़ मूल्य के सॉवरेन ग्रीन बांड जारी किए जाएंगे, जिनमें परिवहन क्षेत्र प्रमुख लाभार्थी होगा।
- विद्युत इंजनों और मेट्रो तथा उपनगरीय रेल विस्तार के लिए ₹42,000 करोड़ आवंटित।
- भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) ने जलवायु-संरेखित पूंजी जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी को 7,500 करोड़ रुपये का ऋण भी शामिल है।
- विश्व बैंक द्वारा जून 2022 में माल ढुलाई अवसंरचना को बढ़ाने के लिए रेल लॉजिस्टिक्स परियोजना हेतु 245 मिलियन डॉलर का ऋण।
चुनौतियाँ और सिफारिशें
- दीर्घकालिक अनुबंधों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद करके रेलवे विद्युतीकरण के लिए प्रयुक्त बिजली को कार्बन मुक्त करना।
- रेलवे स्टेशनों को इलेक्ट्रिक बसों, साइकिल-शेयरिंग और पैदल यात्री-अनुकूल बुनियादी ढांचे के साथ बहु-मॉडल हरित केंद्रों के रूप में विकसित करना।
- रोलिंग स्टॉक में नवाचार, जिसमें गैर-विद्युतीकृत लाइनों के लिए हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रेनें और एआई-संचालित ऊर्जा अनुकूलन शामिल हैं।
- हरित प्रमाणीकरण और जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करना।
निष्कर्ष
2030 तक नेट-ज़ीरो लक्ष्य हासिल करने से 6 करोड़ टन से ज़्यादा वार्षिक CO2 उत्सर्जन को रोका जा सकता है, जो सड़कों से 1.3 करोड़ कारों को हटाने के बराबर है। विद्युतीकरण और ऊर्जा दक्षता उपायों से दशक के अंत तक ईंधन लागत में ₹1 लाख करोड़ से ज़्यादा की बचत होने का अनुमान है। चुनौती पूँजी को प्रभावी ढंग से जुटाने और प्रबंधित करने की है।
लेखक: ईशान शर्मा, आईआरएएस अधिकारी, यूके सरकार से 2023 शेवनिंग छात्रवृत्ति प्राप्तकर्ता।